September 26, 2024 Blog

Papankusha Ekadashi 2024: पापांकुशा एकादशी कब है? जानिए इस व्रत की कथा, पूजा विधि एवं महत्त्व

BY : STARZSPEAK

Papankusha Ekadashi 2024: पापांकुशा एकादशी हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, जिसे पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है। यह व्रत साल में दो बार आता है, एक बार शुक्ल पक्ष और एक बार कृष्ण पक्ष में। इस एकादशी का उल्लेख पुराणों और धर्मग्रंथों में मिलता है, जहाँ इसे विशेष महत्व दिया गया है। 2024 में पापांकुशा एकादशी का व्रत 13 अक्टूबर, रविवार के दिन मनाया जाएगा।

पापांकुशा एकादशी की तिथि और समय 2024 (Papankusha Ekadashi 2024 Date & Time)

व्रत की तिथि और समय इस प्रकार है:
  • तिथि प्रारंभ:                           13 अक्टूबर 2024, रविवार  सुबह 9:08 बजे से
  • तिथि समाप्त:                         14 अक्टूबर 2024, सोमवार  सुबह 06:41 बजे तक
  • पारण (व्रत खोलने का समय):    14 अक्टूबर 2024 दोपहर 1:16 बजे से 3:34 बजे तक ।


पापांकुशा एकादशी का महत्व (Importance Of Papankusha Ekadashi )


पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि इसे पापों से मुक्ति का मार्ग माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है, उसके समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को समृद्धि, सुख-शांति और लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 
इस एकादशी को "पापांकुशा" इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन किया गया व्रत और पूजा पापों का अंकुश यानी नियंत्रण करता है। इस दिन व्रत करने वाले भक्त को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और वह भगवान विष्णु के शरण में चला जाता है।

Papankusha Ekadashi images

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पापांकुशा एकादशी व्रत की पूजा विधि (Method of worship Papankusha Ekadashi fast)



1. स्नान और संकल्प:  व्रत करने वाले व्यक्ति को प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प लेते समय यह प्रतिज्ञा करें कि वह पूरे दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा में संलग्न रहेंगे।

2. व्रत का पालन:  इस दिन भक्त को निर्जला व्रत रखने का प्रयास करना चाहिए। अगर निर्जला व्रत संभव न हो तो केवल फलाहार लेकर व्रत किया जा सकता है। एकादशी के दिन अन्न ग्रहण करना वर्जित माना जाता है, इसलिए केवल जल या फलों का सेवन करना चाहिए।

3. भगवान विष्णु की पूजा: व्रती को भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करें, तिलक करें और फूल, धूप, दीप अर्पित करें। साथ ही विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और भगवान से अपने पापों की क्षमा याचना करें।

4. तुलसी पूजन: तुलसी भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती हैं, इसलिए तुलसी का विशेष पूजन करें। तुलसी के पत्तों को भगवान विष्णु को अर्पित करें। भगवान विष्णु की पूजा बिना तुलसी पत्ती के पूरी नहीं मानी जाती है।

5. भजन-कीर्तन और जागरण: पूरे दिन भगवान का ध्यान, भजन-कीर्तन और विष्णु नाम का जप करें। रात्रि में भगवान का जागरण करें और भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करते रहें। 

6. पारण (व्रत तोड़ना): अगले दिन द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद व्रत तोड़ें। पारण से पहले ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा दें और उनके आशीर्वाद लें। इसके बाद स्वयं फलाहार करके व्रत का समापन करें।

पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा (Fasting story of Papankusha Ekadashi) 


पौराणिक कथाओं के अनुसार, क्रोधना नामक एक अत्यंत निर्दयी और क्रूर शिकारी था, जो विंध्याचल पहाड़ों पर रहता था। अपने जीवन भर उसने कई बुरे कर्म और पाप किए। उसे किसी भी प्रकार से शांतिपूर्ण जीवन का मार्गदर्शन देना असंभव था। जैसे-जैसे वह बूढ़ा होता गया, उसे अपनी मृत्यु का डर सताने लगा। वह अपने बुरे कर्मों और पापों के कारण मृत्यु के बाद होने वाले कष्टों को लेकर चिंतित हो गया था।

अपनी गलतियों और पापों से मुक्ति पाने की आशा में, क्रोधना ने जंगल में रहने वाले एक प्रसिद्ध ऋषि अंगिरा की शरण ली। उसने ऋषि से मार्गदर्शन की प्रार्थना की और पूछा कि किस प्रकार वह अपने किए गए पापों से छुटकारा पा सकता है। तब ऋषि अंगिरा ने उसे अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली पापांकुशा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। इस व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो सकता है।
क्रोधना ने सभी अनुष्ठानों को ऋषि की सलाह के अनुसार संपन्न किया और पापांकुशा एकादशी का व्रत पूरी निष्ठा से किया। उसके इस प्रयास से उसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिला, जिससे वह अपने समस्त पापों से मुक्त हो गया और मोक्ष प्राप्त कर सका। तभी से, भक्त इस व्रत का पालन करते हैं, जिससे उन्हें भी अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति की आशा होती है।

पापांकुशा एकादशी पर क्या करें (What to do on Papankusha Ekadashi)


1. इस दिन भगवान विष्णु का ध्यान और पूजन अवश्य करें।
2. यथासंभव निर्जला व्रत करें।
3. ब्राह्मणों और गरीबों को दान-दक्षिणा दें।
4. तुलसी के पौधे का पूजन करें और भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करें।


पापांकुशा एकादशी पर क्या न करे (What not to do on Papankusha Ekadashi)

  • इस दिन मांसाहार, तामसिक भोजन और अन्न का सेवन वर्जित है।

  • किसी भी प्रकार के नकारात्मक कार्य, जैसे झूठ बोलना, किसी को अपशब्द कहना या अपमान करना, इस दिन नहीं करना चाहिए।

  • व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का आलस्य और आराम करने से बचें। प्रयास करें कि इस दिन जागरण करें और भगवान के नाम का स्मरण करें।


पापांकुशा एकादशी का फल

शास्त्रों में कहा गया है कि पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) के व्रत से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। जो व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है, उसे जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है और उसका मार्ग मोक्ष की ओर प्रशस्त होता है। साथ ही इस व्रत को करने से भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उन्हें धन-धान्य, सुख-समृद्धि और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
व्रत के इस पुण्य कर्म से न केवल इस जीवन में बल्कि अगले जीवन में भी सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य का जीवन शांतिपूर्ण और खुशहाल बनता है।

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