September 24, 2024 Blog

Sharad Purnima 2024 : शरद पूर्णिमा कब है? इस दिन क्यों लगाया जाता है खीर का भोग

BY : STARZSPEAK

शरद पूर्णिमा कब है (when is sharad purnima):

वैदिक पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा आश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष शरद पूर्णिमा 2024 (sharad purnima 2024) अक्टूबर में हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। 2024 में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima date) 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी, क्योंकि शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 16 अक्टूबर को सुबह 12:19 बजे होगा और इसका समापन उसी दिन रात 8:40 बजे होगा। इसके बाद पूर्णिमा तिथि शुरू होगी, जो कि 17 अक्टूबर की शाम 5:00 बजे तक रहेगी। इसीलिए शरद पूर्णिमा इस वर्ष 16 अक्टूबर 2024, दिन बुधवार को मनाई जाएगी।

शरद पूर्णिमा का महत्त्व (Importance Of Sharad Purnima)

शरद पूर्णिमा (sharad purnima) हिंदू कैलेंडर की प्रमुख पूर्णिमाओं में से एक है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं के साथ प्रकट होता है। हिंदू धर्म में हर गुण एक कला से जुड़ा होता है, और सोलह कलाओं का संयोजन एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करता है। श्री कृष्ण को सोलह कलाओं से युक्त अवतार माना जाता है, जबकि श्री राम बारह कलाओं से परिपूर्ण माने गए हैं। इसलिए, शरद पूर्णिमा (sharad purnima) के दिन चंद्रदेव की पूजा का विशेष महत्व है। नवविवाहित सौभाग्यवती स्त्रियाँ इस दिन से व्रत प्रारंभ करती हैं।

ब्रज क्षेत्र में इसे रास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इसी रात श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महा-रास किया था, जो दिव्य प्रेम का नृत्य था। श्री कृष्ण ने प्रत्येक गोपी के साथ अलग-अलग रूप में नृत्य किया, और समय को ब्रह्मा की एक रात्रि के बराबर बढ़ा दिया, जो मानव वर्षों के अरबों वर्षों के समान थी।

भारत के अन्य हिस्सों में इस दिन को कोजागरा पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है, जिसे कौमुदी व्रत भी कहा जाता है।

happy sharad Purnima

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क्यों लगाते है खीर का भोग 

गुजरात में इसे शरद पूनम कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में उपचारात्मक गुण होते हैं, जो शरीर और आत्मा को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। कहा जाता है कि चंद्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं, और इसी कारण इस दिन गाय के दूध से बनी खीर को चंद्रमा की रोशनी में रातभर रखा जाता है। माना जाता है कि इससे खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं, जिसे सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि (Worship Method of Sharad Purnima)
  • शरद पूर्णिमा के दिन भक्तों को प्रातः स्नान कर लक्ष्मी माता की पूजा (sharad purnima laxmi puja) करनी चाहिए।
  • दिन में चावल की खीर बनानी चाहिए। 
  • रात को चंद्र देव की आराधना करें। 
  • फिर चांदी के बर्तन में खीर निकालकर घर की छत पर खुले आसमान के नीचे रखें। 
  • कुछ समय चंद्रमा की चांदनी में बैठें। 
  • अगले दिन सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और लक्ष्मी माता तथा चंद्र देव की पूजा करें। 
  • इसके बाद खीर का सेवन करें।

शरद पूर्णिमा के दिन अवश्य करने चाहिए ये काम

शरद पूर्णिमा(sharad purnima) के दिन कुछ खास कार्य करने की परंपरा है। 

  • मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी में बैठकर सुई में धागा पिरोने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। 
  • चंद्रमा को जल अर्पित करने से अस्थमा जैसी बीमारियों से मुक्ति मिलती है। 
  • गर्भवती महिलाओं के लिए चंद्र दर्शन अत्यंत लाभकारी माने गए हैं, जिससे गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 
  • मान्यता है की इस  दिन चन्द्रमा की रोशनी में भोजन करने से हमारे शारीरिक एवं मानसिक तनाव, कष्ट दूर होते है।  


इस दिन कुछ ऐसे काम होते है जिनको हमें नहीं करना चाहिए।  

इस दिन पति-पत्नी को कामवासना पर नियंत्रण रखना चाहिए, और नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

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