हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है। इसी तरह तुलसी की माला (Tulsi Mala Ke Niyam) पहनने का भी विशेष महत्व माना जाता है जो तुलसी की लकड़ी से बनी होती है। लेकिन इसे पहनने का लाभ तभी मिल सकता है जब इससे जुड़े कुछ जरूरी नियमों को ध्यान में रखा जाए। ऐसे में आइए जानते हैं तुलसी की माला पहनने के जरूरी नियम।
तुलसी माला धारण करने के लिए प्रदोष काल सबसे अच्छा समय माना जाता है। इसके अलावा आप इसे सोमवार, गुरुवार या बुधवार को भी धारण कर सकते हैं। लेकिन भूलकर भी रविवार या अमावस्या के दिन तुलसी माला नहीं पहननी चाहिए। इसके साथ ही आप इसे किसी जानकार ज्योतिषी की सलाह से शुभ समय पर भी धारण कर सकते हैं। अगर आप स्नान करने के बाद भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं और तुलसी की माला (Tulsi Mala Ke Niyam) पहनते हैं तो इससे आपको कई लाभ मिल सकते हैं।
तुलसी की माला की शुद्धता बनाए रखने के लिए पवित्रता और स्वच्छता का ध्यान रखना जरूरी है। इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखें कि तुलसी की माला शुद्ध और स्वच्छ होनी चाहिए। तुलसी की माला (Tulsi Mala Ke Niyam) पहनने वाले व्यक्ति को मांसाहारी भोजन और शराब आदि का त्याग कर देना चाहिए। अगर आप इसे किसी कारण से हटा रहे हैं तो दोबारा पहनने से पहले इसे साफ पानी या गंगा जल से शुद्ध कर लें।
अगर आपकी तुलसी की माला (Tulsi Mala Ke Niyam) टूट गई है या खराब हो गई है तो आप उसे बदल सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि जो माला आपने उतारी है उसे इधर-उधर न फेंके। इसके स्थान पर आप पुरानी माला को किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर सकते हैं या तुलसी के पौधे में भी रख सकते हैं।
यदि आप सभी नियमों को ध्यान में रखकर तुलसी की माला धारण करते हैं तो इससे आध्यात्मिकता का विकास होता है। इसके अलावा इसके स्वास्थ्य लाभ भी देखने को मिलते हैं। ऐसा माना जाता है कि तुलसी की माला (Tulsi Mala Ke Niyam) पहनने वाले साधक पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है, जिससे उसके सौभाग्य में वृद्धि होती है।
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