June 4, 2024 Blog

Jyeshtha Amavasya 2024: ज्येष्ठ अमावस्या पर इस विधि से करें पितरों का तर्पण, जीवन में मिलेंगे शुभ परिणाम

BY : STARZSPEAK

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है। अमावस्या का दिन गंगा स्नान, पितृ तर्पण, पितृ पूजा, पिंड दान और ब्राह्मणों को भोजन कराने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन (Jyeshtha Amavasya 2024) भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने की भी परंपरा है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से व्यक्ति को जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।

Jyeshtha Amavasya 2024: ज्येष्ठ अमावस्या का त्योहार हिंदू नववर्ष के तीसरे महीने में मनाया जाता है। इस साल ज्येष्ठ अमावस्या 06 जून (Amavasya 2024) को पड़ रही है। अमावस्या का दिन गंगा स्नान, पितृ तर्पण, पितृ पूजा, पिंड दान और ब्राह्मणों को भोजन कराने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने की भी परंपरा है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से व्यक्ति को जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं। अमावस्या के दिन पितृ तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन सुखी होता है। आइए जानते हैं अमावस्या पर पितृ तर्पण कैसे करना चाहिए?

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Jyeshtha Amavasya 2024
ज्येष्ठ अमावस्या 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Jyeshtha Amavasya 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 05 जून को शाम 07:54 बजे शुरू होगी. वहीं यह तिथि 06 जून को शाम 06:07 बजे समाप्त होगी. ऐसे में ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को मनाई जाएगी.

ज्येष्ठ अमावस्या 2024 पितृ तर्पण विधि (Jyeshtha Amavasya 2024 Pitru Tarpan Vidhi)

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर देवी-देवताओं का ध्यान करके दिन की शुरुआत करें। इसके बाद स्नान कर साफ कपड़े पहन लें। - अब एक बर्तन में जल, फूल और तिल डालें. इसे पितरों को अर्पित करें। इसके बाद गाय के गोबर से बने उपले, खीर, गुड़ और घी का भोग लगाएं. इस तिथि पर श्रद्धानुसार गरीबों को वस्त्र, भोजन और धन का दान करना चाहिए।

पितृ दोष दोष के मंत्र

ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।

शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्’।

पितृ गायत्री मंत्र

ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्। 

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