ज्योतिषियों के मुताबिक रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा तिथि पर देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान होंगे. इस दिन भगवान शिव (Bhagwan Shiv) शाम 07:51 बजे तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे. इसके बाद नंदी पर सवार होंगे. इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से अनंत फल मिलता है। साथ ही सभी प्रकार के अनुष्ठान करना लाभकारी होता है।
ज्योतिषियों के मुताबिक, पौष मास की शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि पर एक, दो नहीं बल्कि 7 शुभ और अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योगों में होगी रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा. आइए, इन शुभ योग के बारे में जानते हैं-
ज्योतिषियों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव उत्तरायण रहेंगे। उत्तरायण देवताओं के दिन का समय है। इस दौरान रोशनी बढ़ने लगती है. इसी दिन से युग का आरंभ भी होता है। इसलिए रामलला (Ramlala) के अभिषेक के लिए मकर संक्रांति के बाद की तिथि चुनी गई है. इस दिन पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी और त्रयोदशी तिथि है। द्वादशी तिथि शाम 07 बजकर 51 मिनट तक है. इसके बाद त्रयोदशी तिथि है. वहीं, नक्षत्र मृगशिरा है.
पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि यानी 22 जनवरी को पहली बार ब्रह्म योग बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 08 बजकर 47 मिनट तक है. इसके बाद इंद्र योग बनेगा। इसी योग में रामलला (Ramlala) की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी.
22 जनवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 07:14 बजे से अगले दिन यानी 23 जनवरी को सुबह 04:58 बजे तक है. वहीं पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त (Abhijit Muhurat) दोपहर 12:11 बजे से 12:54 बजे तक है. वहीं विजय मुहूर्त (Vijay Muhurat) 02:19 से 03:01 तक है. इस दिन सुबह 07:36 बजे तक बव करण की संभावना है. इसके बाद बाल्व करण का निर्माण होगा। बाल्व करण सायं 07 बजकर 51 मिनट तक है.
ज्योतिषियों के मुताबिक रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा तिथि पर देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान होंगे. इस दिन भगवान शिव शाम 07:51 बजे तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे. इसके बाद नंदी पर सवार होंगी. इस दौरान भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की पूजा करने से अनंत फल मिलता है। साथ ही सभी प्रकार के अनुष्ठान करना लाभकारी होता है।