November 1, 2023 Blog

Pradosh Vrat 2023: जानिए कब रखा जाएगा नवंबर का पहला प्रदोष व्रत, इस तरह करें महादेव को प्रसन्न

BY : STARZSPEAK

Shukra Pradosh Vrat 2023: प्रदोष व्रत पूजा का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसमें मुख्य रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और महादेव की विधि-विधान से पूजा करते हैं, जिससे उन्हें भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। नवंबर माह की शुरुआत हो चुकी है तो आइए जानते हैं नवंबर माह का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा।

Pradosh Vrat 2023: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जब त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय के साथ मेल खाती है, तो इस दिन भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत मनाया जाता है। हर महीने में, यानी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों के दिन, प्रदोष व्रत मनाया जाता है। कार्तिक मास 29 अक्टूबर से शुरू हो गया है तो आइए जानते हैं कार्तिक मास का पहला प्रदोष व्रत किस दिन पड़ेगा। साथ ही प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में भी जानेंगे।

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Pradosh Vrat 2023
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh muhurat)

आश्विन मास की शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 10 नवंबर 2023, दिन शुक्रवार को दोपहर 12:35 बजे हो रहा है। यह तिथि 11 नवंबर को दोपहर 01:57 बजे समाप्त होगी। इसलिए प्रदोष व्रत का पारण इस प्रकार किया जाएगा। 10 नवंबर, शुक्रवार को किया जाता है। शुक्रवार को पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन पूजा का शुभ समय शाम 05.30 बजे से 08.08 बजे तक रहेगा।

प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat puja vidhi)

प्रदोष व्रत के दिन, सुबह जल्दी उठें और स्नान और अन्य पूजा संबंधी कार्यों से निपटकर व्रत की तैयारी करें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें। प्रदोष व्रत की पूजा दो बार की जाती है। पहली बार “एक बार सूर्योदय से पहले और दूसरी बार सूर्यास्त के बाद।” इस दिन प्रदोष काल में की गई पूजा का विशेष महत्व होता है, इसलिए पूजा स्थल को साफ करें और गंगा जल का उपयोग करें।

इसके बाद भगवान शिव की मूर्ति या मूर्ति स्थापित करें। अब भोलेनाथ जी की विधि-विधान से पूजा करें और शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके साथ ही महादेव की कृपा पाने के लिए इस दिन भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। शाम को फिर से इसी प्रकार भगवान शिव की पूजा करें और फल खाकर व्रत खोलें।

प्रदोष व्रत महत्व (Pradosh Vrat Importance)

प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा का विधान है। शास्त्रों में मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से साधक को जन्म-जन्मांतर के चक्र से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। साधक पर भोलेनाथ की कृपा दृष्टि बनी रहती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में चल रही सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती हैं।

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