Shani Dev Chalisa: शनि चालीसा का पाठ करने से दूर होते हैं दुष्ट शनि के प्रभाव
BY : STARZSPEAK
प्राचीन भारतीय संस्कृति में धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-अर्चना का अविरल महत्व रहा है। इन अनुष्ठानों में विशेष रूप से चालीसा, आरती, मंत्र, भजन आदि का महत्वपूर्ण स्थान है। यहां हम आपको शनि चालीसा (Shani Dev Chalisa) के विषय में बताएंगे, जिससे शनि देवता को प्रसन्न करने के लिए उपयुक्त विधि का पालन किया जा सकता है। शनि चालीसा शनि देवता को प्रसन्न करने और नकारात्मक ग्रह शनि के दुष्ट प्रभावों को दूर करने में सहायक होती है।
श्री शनि चालीसा / Shani Dev Chalisa
॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिय माल मुक्तन मणि दमके॥1॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
पिंगल, कृष्ो, छाया नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं। रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥2॥
पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो। कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥3॥
रावण की गतिमति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवाय तोरी॥4॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों। तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजीमीन कूद गई पानी॥5॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई। पारवती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रौपदी होति उघारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥6॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देवलखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सजाना। जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥7॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥8॥
तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥
समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥9॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥10॥
॥दोहा॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥
**************जय जय जय शनि देव महाराज ****************
।। Shani Dev Chalisa।।
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शनि चालीसा का महत्व
शनि चालीसा (Shani Dev Chalisa) हिन्दू धर्म में एक प्रसिद्ध पौराणिक ग्रंथ है, जो भगवान शनि को समर्पित है। शनि चालीसा को पढ़ने या सुनने से शनि देवता की कृपा मिलती है। यह चालीसा विशेष रूप से शनि देवता की क्रोध नाशक शक्ति को प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध है। शनि चालीसा के पाठ से भक्त के जीवन में धन, संपत्ति, सफलता, समृद्धि, शांति, सुख-शांति, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
शनि चालीसा के लाभ
- दुष्ट ग्रह शनि के नकारात्मक प्रभाव को नष्ट करने में सहायक।
- धन, संपत्ति, और ऐश्वर्य की प्राप्ति में सहायक।
- व्यापार और नौकरी में सफलता प्रदान करने में मदद करता है।
- परिवार में खुशहाली और शांति स्थापित करता है।
- शनि दोष को दूर करने और नवग्रहों के दुष्ट प्रभावों से बचने में सहायक।
- शनि चालीसा का पाठ करने का समय और विधि
शनि चालीसा (Shani Dev Chalisa) का पाठ बजरंगबली या शनि देवता की मूर्ति के सामने बैठकर या खड़े होकर किया जाता है। शनि चालीसा का पाठ करने का उचित समय प्रातःकाल या सायंकाल है। स्नानादि के पश्चात शुद्ध मन से पूजन करते हुए शनि चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है। शनिवार के दिन भक्त शनि चालीसा का पाठ विशेष भक्ति भाव से करते हैं।
शनि चालीसा के पाठ की विधि
- पहले शनि देवता की पूजा करें। इसके लिए शनि देवता की मूर्ति या तस्वीर को साफ पानी से अच्छे से साफ करें। फूल, दीप, धूप, अर्घ्य, अखंड दिया आदि से पूजा करें।
- ध्यान के साथ शनि चालीसा (Shani Dev Chalisa) का पाठ शुरू करें। स्तुति के पश्चात चालीसा का पाठ करें। ध्यान रखें कि पाठ में किसी भी तरह की विघ्नाएं न हों।
- पाठ के बाद आरती करें। भगवान के समक्ष फूल, दीप, धूप, और अर्घ्य चढ़ाकर आरती करें।
- पाठ करने के बाद प्रसाद बांटें। कुछ मिठा और फल प्रसाद के रूप में चढ़ाकर सभी को बांटें।
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शनि चालीसा के मंत्र
शनि चालीसा (Shani Dev Chalisa) के पाठ के दौरान निम्नलिखित मंत्र को एकाग्र मन से जपने से प्रभाव अधिक होता है:
“ॐ नीलांजनमसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥“
शनि चालीसा के फायदे
शनि चालीसा के नियमित पाठ से शनि देवता की कृपा प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन में समस्त दुखों का नाश होता है। शनि चालीसा (Shani Dev Chalisa) के जाप से नकारात्मक शनि के प्रभाव को दूर करने में सहायता मिलती है और व्यक्ति को जीवन में शुभ समय, संपत्ति, और सफलता की प्राप्ति होती है।
शनि चालीसा के अन्य लाभ
धन-संपत्ति की प्राप्ति में सहायक: शनि चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को धन, संपत्ति, और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
नवग्रहों के दुष्ट प्रभाव से बचाव: शनि चालीसा के जाप से नकारात्मक नवग्रहों के प्रभाव को नष्ट करने में मदद मिलती है।
विवाहित जीवन में सुख-शांति: शनि चालीसा (Shani Dev Chalisa) के पाठ से पति-पत्नी के बीच में मिलजुलकर संबंध और प्रेम बना रहता है। इससे परिवार में शांति रहती है।
व्यापार में सफलता: व्यापारियों के लिए शनि चालीसा का पाठ विशेष फायदेमंद होता है। यह उन्हें व्यापार में सफलता प्रदान करता है।
न्याय और न्यायिक विवादों के समाधान में सहायक: शनि चालीसा (Shani Dev Chalisa) के पाठ से न्यायिक विवादों का समाधान होता है और व्यक्ति को न्याय मिलता है।
धार्मिक दृष्टिकोन से देखा जाए तो शनि चालीसा (Shani Dev Chalisa) का पाठ करने से शनि देवता को प्रसन्न किया जा सकता है और उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में समस्त सुख और समृद्धि आ सकती है। यह चालीसा न केवल भक्ति भाव को विकसित करती है, बल्कि शनि देवता के द्वारा आने वाली बाधाओं को दूर करके व्यक्ति के जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक साबित हो सकती है।
कृपया ध्यान दें कि धार्मिक अनुष्ठानों व पूजा-अर्चना में विश्वास रखने वाले व्यक्तियों को इस लेख के अनुसार ही कार्य करना चाहिए। अन्यथा किसी पूजा विधि, अनुष्ठान, या मंत्र के प्रयोग में गलती भी नुकसान दे सकती है।
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