कालसर्प दोष का नाम सुनते ही व्यक्ति किसी आशंका में घिर जाता है, वास्तव में कालसर्प दोष तब बनता है जब कुंडली में सारे ग्रह राहु और केतु के बीच में होते है, इसके शुभ और अशुभ फल विभिन्न भावों में बैठे ग्रहों पर निर्भर करते है । कभी कभी यह योग व्यक्ति को असीम ऊंचाइयों पर भी ले जा सकता है लेकिन इसके लिए अच्छे योग का निर्माण होना जरुरी है । कालसर्प योग कई प्रकार के होते है, जानते है ऐसे कुछ योगों के बारे में -
१) यदि कुंडली में पहले घर में राहु तथा सप्तम स्थान में केतु हो तथा सारे ग्रह मध्य में हो तो अनंत नामक कालसर्प दोष बनता है जो वैवाहिक जीवन के लिए या पार्टनरशिप के लिए अच्छा नहीं माना जाता ।
२) दुसरे भाव में राहु तथा अष्टम भाव में केतु के मध्य सभी ग्रह स्थित हो तो कुलिक नामक कालसर्प योग का निर्माण होता है जो व्यक्ति को आर्थिक काष्ट देता है, समाज में अच्छी स्थिति नहीं रहती, उसे मादक द्रव्यों के सेवन का आदि बनाता है और शिक्षा में रूकावट आती है ।
३) यदि तृतीय भाव में राहु तथा नवम में केतु के बीच में सभी ग्रह हो तो वासुकि नामक कालसर्प योग माना जाता है, कुंडली में इस योग के बनने से छोटे भाई बहन पर मुसीबत आ सकती है, नौकरी में दिक्कत हो सकती है और जीवन संघर्षमय हो सकता है ।
४) चतुर्थ भाव में राहु तथा दशम भाव में केतु के मध्य में ग्रह होने से शंखपाल नामक कालसर्प योग बनता है जिसमे व्यक्ति बचपन से ही ख़राब संगति में पड़ जाता है और अपनी मां को कष्ट देता है ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.