शनि और चंद्रमा की युति बहुत दुःख देने वाली मानी जाती है, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि और चन्द्रमा की युति हो तो इसे विष योग कहा जाता है । ऐसा माना जाता है की पूर्व जन्मों में किये गए बुरे कर्मों की वजह से किसी की कुंडली में विष योग होता है ।
- विष योग में जन्मे जातक को उसका अपना भाई, बहन, मित्र या परिवार का कोई सदस्य उसके साथ विश्वासघात कर सकता है
- यदि ऐसा व्यक्ति बीमार पड़ता है तो उसका इलाज आसानी से सफल नहीं होता ।
- यदि वह किसी से कर्ज लेता है तो उसका कर्ज कम नहीं होता ।
- ऐसे जातक को आसानी से नौकरी नहीं मिलती, अगर मिल भी जाए तो उसकी अपने अधिकारियों से नहीं बनती और बहुत जल्दी उनका ट्रांसफर होता रहता है ।
जानते है कैसे बनता है ये योग –
- यदि कुंडली में बारहवे भाव में शनि स्थित हो, छटे भाव में चन्द्रमा हो तथा आठवे भाव में सूर्य स्थित हो तो विष योग बनता है ।
- अगर किसी जातक की कुंडली में शनि या मंगल एक साथ चौथे भाव में हो या दसवें भाव में हो तो ये विष योग होता है ।
- कुंडली में अगर तृतीय भाव में शनि चन्द्रमा की युति हो तो विष योग बनता है और ये भाई, बहन और मित्रो से अशुभ सम्बन्धों को दर्शाता है।
- यदि अष्टम भाव में चंद्र तथा शनि एक साथ हो तो यह इस बात का संकेत है की जातक के जीवन में बहुत दुःख होगा और उसे कोई बहुत बड़ी बीमारी लम्बे समय तक परेशान करेगी ।
- यदि जातक का मेष, कर्क या वृश्चिक लग्न हो तथा लग्न में शनि स्थित हो तथा आठवे भाव में राहु हो तो विष योग बनता है ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.