“सूर्य रेखा जिसे यश रेखा भी कहा जाता है मनुष्य के जीवन में मान, प्रतिष्ठा, यश और नाम कमाने के सहायक का कार्य करती है| यही किसी के हाँथ में हृदय रेखा, मस्तिस्क रेखा और भाग्य रेखा कितनी भी प्रबल क्यों न हो अगर सूर्य रेखा प्रबल नहीं है तो उसका जीवन नगण्य होकर रह जाता है| यह भी पाया गया है की सभी के हाथो में सूर्य रेखा नहीं होती है और इसका उद्गम भी अलग-अलग स्थानों से होता है| वैसे तो यह रेखा पर्वत रेखा के नीचे होती है| यह भी है की इसका उद्गम कहीं से भी हो सकता है लेकिन इस रेखा की सम्पाती सूर्य पर्वत पर ही होती है|
आइये देखते हैं सूर्य रेखा का उद्गम कहाँ-कहाँ से संभव है और उसका क्या फल है?”
सूर्य पर्वत कहाँ होती है
अनामिका उँगली के नीचे के हिस्से को हम सूर्य पर्वत के नाम से जानते हैं| इस हिस्से में जितनी भी रेखाएं ख़त्म होती हैं सूर्य पर्वत रेखा होती हैं|
शुक्र पर्वत कहां होता है
अंगूठे के नीचे का हिस्सा शुक्र पर्वत कहलाता है|
मंगल पर्वत कहा होता है
मंगल पर्वत के दो स्थान होते हैं जो तस्वीर में दिखाए गए हैं|
सूर्य रेखा क्या है?
किसी भी रेखा का उद्गम स्थान चाहे कहीं भी हो अगर उस रेखा का अंत सूर्य पर्वत पर होता है तो उस रेखा को सूर्य रेखा कहा जाता है| यह रेखा आपके आत्मसम्मान से जुड़ी होती है|
अगर शुक्र पर्वत से शुरू होती है सूर्य रेखा
अगर सूर्य रेखा रेखा का उद्गम स्थान शुक्र पर्वत है तो ऐसे व्यक्ति के जीवन में धन का आगमन दुसरे लोगों से होता है|
ऐसे लोग का भाग्य उदय विवाह के बाद होता है| इनके जीवन में कई स्त्रियाँ आती हैं और इन्हें हर तरफ से पैसे की प्राप्ति होती है|
अगर जीवन रेखा से शुरू होती है सूर्य रेखा
जीवन रेखा से शुरू होकर सूर्य पर्वत पर ख़त्म होने वाली रेखाएं बहुत भाग्यशाली होती हैं| ऐसे रेखाएं बहुत कम लोगों में पाई जाती हैं| जिनके हांथों में यह रेखा पाई जाती है वे उच्च कोटि के कलाकार होते और उन्हें कई जगह से प्रसिद्धि प्राप्त होती है|
अगर मंगल पर्वत से होती है शुरू
कई हांथो में सूर्य रेखा का उद्गम मंगल पर्वत से होता है| और वह रेखा हृदय रेखा को काटते सूर्य पर्वत पर जाती है तो ऐसे व्यक्ति सेना और पुलिस में उच्च पद प्राप्त करते हैं|
अगर मस्तिस्क रेखा से होती है शुरू
अगर मस्तिस्क रेखा से कोई भी रेखा शुरू होती है और सूर्य पर्वत पर ख़तम होती है तो ऐसे व्यक्ति बुद्धिमान व्यक्ति होता है| ये पढ़ाई से जुड़े किसी भी कार्यक्षेत्र पर सफल होते हैं| ऐसे व्यक्तियों का भाग्य उदय 28 वर्ष के बाद होता है|
अगर हृदय रेखा से जाती है
अगर कोई रेखा हृदय रेखा से सूर्य पर्वत तक जाती है तो ऐसे लोगों का प्रारम्भिक जीवन कष्टमय होता है लेकिन, कड़ी मेहनत के बाद ऐसे व्यक्ति शीर्ष स्थान पर पहुँच जाते हैं| इनके सभी कारू एक चमत्कार की तरह पूरे होते हैं| अगर यह रखा बीच में टूट जाए तो बदनामी का भी सामना करना पड़ सकता है|