April 23, 2019 Blog

क्या बन पाएंगे IAS, IPS? क्या कहते हैं ज्योतिष के योग

BY : Ankit Verma – Astrology & Spiritual Consultant

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 किसी भी व्यक्ति को प्रशासनिक अधिकारी बनने के लिए काफी अधिक परिश्रम और मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन लाख प्रयत्न करने के बावजूद भी कई व्यक्ति ऊंचाइयों पर नहीं पहुंच पाते और दूसरी तरफ साधारण प्रयास करने महज से ही कई व्यक्ति सहज ऊंचाइयों पर पहुंच जाते हैं. आइए जानते हैं क्या कहता है ज्योतिष.

 

दरअसल, सरकारी नौकरी में मौजूदा बड़े अधिकारियों जैसे IAS और IPS की जन्म कुंडली पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो उनकी जन्मकुंडली में कई प्रकार के राजयोग और उच्च पदाधिकारी योग बनते दिखाई दे जाते हैं. वैसे तो राजयोग का अर्थ राजतंत्र से है लेकिन राजतंत्र तो अब सारे संसार में ही खत्म हो गई है इसलिए ऐसे में राजयोग वाले जातक अब इन्ही उच्च पदों पर सुशोभित होते हैं.

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प्रतियोगी और उच्च पदों की परीक्षा में सफलता के लिए सबसे पहले तो पूरी तरह से उस परीक्षा में सफल होने के लिए दृढ़ण निश्चय चाहिए, पराक्रमी और अत्यंत बुद्धिमान होने के साथ-साथ जातक की कुंडली में लग्न, षष्ठ और दशम भाव का बली होना और इनके भावेशों का शक्तिशाली होना भी बेहद जरूरी है. यह तृतीय भाव, भावेश और कुंडली में उत्तम स्थान पर प्रतिष्ठित होना भी महत्वपूर्ण है.

 

इस प्रकार की प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने के लिए जातक की जन्म कुंडली में सबसे पहले लग्न का बली और शक्तिशाली होने के साथ-साथ लग्नेश का उत्तम स्थान पर होना भी आवश्यक है. उसके बाद जातक के कर्म के भाव को भी देखा जाता है जो दशम भाव है. इस भाव के आवेश को प्रबलता से जाना जाता है कि जातक का व्यवसाय क्या होगा और वह उसमे कितना सफल होगा. हालांकि, जिन भावों के स्वामी दशम में होते हैं, उन्हें भी पर्याप्त बल मिल जाता है.

 

अगर जातक की जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी बलवान होता है तो दशम भाव में बैठे या दशम भाव में सभी शुभ ग्रह हों और दशम भाव का स्वामी बली हो तो वह अपनी या अपने मित्र राशि में होकर केंद्र या त्रिकोण में व्यक्ति का भाग्य राजा के समान होता है. उसकी रूचि धर्म-कर्म में होती है और वह यशी होता है.

 

नभसि शुभखगे वा तत्पतौ केन्द्रकोणे,

बलिनि निजगृहोच्चे कर्मगे लग्नपे वा।

महित पृथुयशा: स्याद्धर्म कर्म प्रवृत्ति:

नृपति सदृशभाग्यं दीर्घामायुश्च तस्य।|

सबले कर्मभावेशे स्वोच्चे स्वांशे स्वराशिशे

जातस्तातसुखोनादयो यशस्वी शुभकर्मकृत।|

 

जो राशि अपने स्वामी से दृष्ट हो या युक्त हो या फिर बुध और गुरु से दृष्ट हो, वह लग्न राशि अवश्य ही बलवान होती है. इसके आलावा स्वस्वामी बुध गुरु के अतिरिक्त अन्य ग्रहों से दृष्ट अथवा युक्त हो तो निर्बल होता है.

 

अगर जन्मकुंडली के लग्न और दशम भाव में सूर्य का प्रभुत्व हो तो जातक राजनेता या राजपत्रित अधिकारी और मंगल का प्रभुत्व हो तो जातक के पुलिस या सेना में उच्च पद पर आसीन होने की अधिक संभावना होती है. इन भावों में अन्य अच्छे योग जातक के जीवन में यश कीर्ति और शक्ति और लक्ष्मी की प्राप्ति होने का संकेत देते हैं.

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जातक के उच्च पद पर आसीन होना, उसकी जन्म कुंडली के छठे भाव पर भी निर्भर करता है. अगर दशम भाव पर छठे भाव और भावेश का प्रभाव अच्छा होता है तो जातक के शत्रु परास्त होंगे और सेवक स्वामीभक्त होंगे. दशम भाव की 6,7,9,12 वें भाव पर अर्गला होती हैं जिसके द्वारा दुश्मन, नौकर वैभव और निद्रा प्रभावित होती है. उदाहरण: चाणक्य ने कहा है कि जिस राजा के कर्मचारी वफादार होते हैं, उसे कभी परास्त नहीं किया जा सकता.

 

कुंडली के दशम भाव में कोई भी गृह उत्तम फल देने के लिए स्वतंत्र होता है, लेकिन कुंडली के नवांश और दशमांश कुंडली का भी लग्न कुंडली की तरह सभी तरह के योगों की अच्छी तरह पड़ताल करने पर ही पूर्णतया फल-कथन किया जाना चाहिए. आर्थिक त्रिकोण 2, 6, 10 वें भाव पर निर्भर करता है.

 

अगर कुंडली में शनि और अन्य ग्रहों की स्थिति ठीक हो तो मगर सूर्य शत्रु क्षेत्री हो तो सूर्य को इस तरह से मजबूत करें-

 

  1. सूर्योदय से पहले उठे, सूर्य के सामने खड़े होकर या बैठकर गायत्री मंत्र का जाप करें.

 

  1. पिता का आदर करें, सेवा करें और ब्राह्मणों को दान दें.

 

  1. रविवार का व्रत करें और नमक रहित भोजन करें.

 

  1. सूर्य यंत्र को हमेशा अपने पास रखें.

 

  1. सफेद, नारंगी वस्त्र पहनें. माणिक भी धारण किया जा सकता है.
Author: Ankit Verma – Astrology & Spiritual Consultant

Ankit Verma, an astrologer with 9+ years’ expertise, explains remedies like Ravivar ka Upay and grah shanti, empowering readers to overcome challenges and attract positivity, success, and balance.