हर व्यक्ति समाज में अपना अलग मुकाम बनाना चाहता है, उसकी इच्छा होती है की उसे कोई प्रतिष्ठित पद प्राप्त हो, उसके लिए उस व्यक्ति की शिक्षा, योग्यता अच्छी होनी चाहिए लेकिन साथ - साथ कुंडली में बनने वाले योग यदि अच्छे हो तो सफलता आसानी से मिल जाती है वर्ना बहुत मेहनत के बाद भी वह पद हासिल नहीं कर पाता जिसका वह हक़दार है ।
उच्च पद प्राप्ति के लिए लग्न तथा लग्नेश शुभ होना चाहिए, कुंडली में बलिष्ठ राजयोग होना चाहिए इसके लिए केंद्र था त्रिकोण का सम्बन्ध होना अति आवशयक है, नवमेश तथा दशमेश, चतुर्थेश तथा पंचमेश तथा पंचमेश, नवमेश और दशमेश इनमे से कोई न कोई सम्बन्ध अवशय होना चाहिए ।
क्योकि षष्टम भाव नौकरी का भाव है इसलिए व्यक्ति का उच्च पद नवमेश, दशमेश या षष्ठेश की दशा या अन्तर्दशा में होता है, यदि किसी जातक की कुंडली में दशमेश यदि अष्टमेश भाव में स्थित हो तो यह उच्च पद प्राप्ति में सहायक होता है। यदि किसी कुंडली में षष्ठेश अथवा छटे भाव में स्थित ग्रह नवम भाव या दशम भाव से सम्बंधित हो तो उच्च पद प्राप्ति की सम्भावना बढ़ जाती है ।
यदि कुंडली में तीसरे अथवा ग्यारहवे भाव में स्थित ग्रह यदि शुभ ग्रहो से किसी भी तरह का शुभ सम्बन्ध स्थापित करे तो इनकी दशा या अन्तर्दशा में उस व्यक्ति को प्रमोशन मिल सकता है और वह उच्च पद प्राप्त कर सकता है । बुध दशम भाव का कारक होने से यदि वह छटे भाव या दशम भाव से सम्बन्ध बनाए तो यह उच्च पद प्राप्ति का संकेत देता है ।