November 28, 2018 Blog

इस मंदिर मे आने से डरते है भूत प्रेत

BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

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By: Deepika Dwivedi

राम भक्त भगवान हनुमान जी की शक्ति से, इस संसार में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति वाकिफ है। हनुमान जी का तेज और प्रताप उनके बचपन से ही पता चल गया था कि वे इस धरती पर ईश्वरीय रूप में जन्मे है। हनुमान जी का बचपन का नाम बाला जी भी रहा है। इसलिए संसार में उन्हें अलग- अलग जगह पर अलग-अलग नाम से ख्याति प्राप्त है।

राजस्थान के दौसा जिले में एक प्राचीन मन्दिर है जो मेहन्दीपूर बालाजी के नाम से प्रचलित है और यह मन्दिर भगवान हनुमान जी का ही मन्दिर है। मेहंदीपुर बालाजी मन्दिर का इतिहास कोई 100 या 200 साल पूराना नहीं है बल्कि पूरे 1000 वर्षों पुराना है। इस मन्दिर की कहानी वहां पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जुंबा पर है। बच्चा- बच्चा वहां की घटनाओं से परिचित है।

कहानियों के अनुसार मेंहदीपुर में यहां घोर जंगल था। यहां पर बेहद ही डरावनी घनी झाड़िया थी। और जंगली जानवरों का ही यहां डेरा था। साथ ही चोर- लुटेरों का साया इस जंगल में सदैव बना रहता था। कुछ किवदंतिया और कुछ किस्से ऐसे बताए जाते है कि एक बार इस मंदिर के पुराने महंत गोसाई महराज हुआ करते थे, जिनका नाम घंटे वाला बाबा जी है। इन बाबा को एक रात एक सपना आया, जिसमें उन्होंने स्वप्न की अवस्था में एक पूरी लीला देखी, जिसमें एक तरफ सें हज़ारों दीपक जलते आ रहे हैं। और ज़ोर-ज़ोर से हाथी- घोड़ों के चलने की आवाज़ें आ रही हैं। साथ ही आगे कहा जाता है कि उन्होंने अपने सपने में देखा कि एक बहुत बड़ी फौज चली आ रही है उस फौज ने श्री बालाजी महाराज जी, श्री भैरों बाबा, श्री प्रेतराज सरकार को हाथ जोड़कर प्रणाम किया। और फिर जिस रास्ते से फौज आई उसी रास्ते से फौज चली गई। पहले तो गोसाई महराज थोड़े से डर गए और यह बात किसी को नही बताई। फिर दुसरे दिन सपने में वो ही तीन मूर्तियां दिखाई दी और वहीं पर एक विशाल मंदिर भी दिखाई दिया। और गोसाई महाराज  के कानों में आवाज़ आने लगी और कोई उनसे कह रहा है ‘बेटा उठो मेरी सेवा करो’ और यहां की ‘पूजा का भार ग्रहण करों’। साथ ही किसी ने ईश्वरीय रूप में उनसे कहा कि मै इस संसार में अपनी लीलाओं का विस्तार करूँगा। और कलयुग में अपनी शक्तियों को दिखाऊंगा। उन्होंने तीन देवताओं को देखा था, जो बालाजी मन्दिर के निर्माण का पहले सकेंत माना गया था।

इस सपने के बारें में गोसाईं जी महराज ने अपने आस-पास के लोगों कों इकट्टा कर अपनी सारी बातें बताई तो गांव के बड़े बुजुर्गों और सज्जन व्यक्तियों ने महंत जी गोसाईं से कहा कि जहां तुम्हें तीन मुर्तियां दिखाई दी वहां पर मन्दिर बना दों।

फिर एक दिन अचानक से महंत जी को बालाजी ने दर्शन दिए और आदेश दिया कि वे यहां पर बालाजी का सर्व शक्तिशाली मन्दिर स्थापित करे और लोगों को यहां की महिमा बताए ताकि संसार में व्याप्त लोगों के दुखों का हरण हो सकें। तब महंत गोसाई महाराज जी ने बालाजी मंदिर की स्थापना की और इस मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरौं बाबा को भी स्थापित किया।

फिर धीरे-धीरे यहां के मन्दिर की पवित्रता और शक्ति का स्वत: ही प्रचार होने लगा और यहां पर आने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपने सभी दुखों से मुक्ति पाने लगा। तभी से यहां के मन्दिर औऱ बालाजी भगवान की ख्याति पूरे देश-विदेश तक फैल गई। मंहत गोसाई जी महराज के बाद आज तक इस मन्दिर की सेवा करने वाले कई मंहतों ने अपना जीवन खर्च किया है।

 

मेहन्दीपुर बालाजी का भूत-प्रेत से ख़ास सम्बन्ध-

मेहंदीपुर बालाजी के मन्दिर से भूत-प्रेतों से निजात दिलाने की एक ख़ास धारणा जुड़ी हुई है। अगर यहां के मन्दिर के भोग का प्रसाद खाए तो सारे कष्ट दूर हो जाते है। लोगों की ऐसी भी मान्यता है कि यहां पर मिलने पर वाले पत्थर से इलाज कराने पर जोड़ो का दर्द , सीने की जलन या किसी भी प्रकार की शारीरिक बिमारी दूर हो जाती है। यहां का पत्थर एक दवाईयां के तौर उपयोग किया जाता है।

मेहंदीपुर बालाजी का दृश्य देखने में बेहद ही डरावना होता है। यहां पर आने वाली इंसानों के शरीर से सभी नकारात्मक ऊर्जाओं का निष्कासन होता है। इस मंदिर में प्रवेश करते ही लोग ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगते है और तेज़-तेज़ सियाराम के नारे लगाते है औऱ ज़ोर -ज़ोर से अपना सिर दिवार पटकते है और कभी रोते है तो कभी ज़ोर से हंसते है। एक प्रकार से वहां के मन्दिर का नज़ारा बड़ा ही विचित्र सा होता है जो दिखने में काफी भयावह नज़र आता है।

Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.