By: Starzspeak
ऐसा माना जाता है कि आदि शक्ति के एक रूप सती ने शिव जी से विवाह किया था लेकिन उनके इस विवाह से उनके पिता दक्ष खुश नहीं थे. जिसके कुछ वक्त बाद दक्ष ने एक यज्ञ किया जिसमें उन्होंने सती के अलावा सभी देवताओं को आमंत्रित किया. सती बिना बुलाए ही यज्ञ में चली गईं. जहां उन्होंने दक्ष को शिवजी के बारे में अपमानजनक बाते कहते हुए सुना. सती यह सह न सकीं और उन्होंने खुद को यज्ञाग्नि को समर्पित कर दिया. जब शिव जी को ईस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने माता सती के जलते हुए शरीर को उठाकर विनाश नृत्य आरंभ कर दिया.
शिवजी के तांडव की वजह से संपूर्ण सृष्टि के विनाश का संकट खड़ा हो गया है. इस संकट को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र की मदद देवी सती के देह के टुकड़े-टुकड़े कर किए. जिसके बाद जहां-जहां सती के शरीर के अंग गिरे, वो स्थान शक्तिपीठ बन गए. हालांकि, शक्तिपीठों के स्थानों और संख्या को लेकर ग्रंथों में अलग बातें कही गई हैं. आदि शक्तिपीठों की संख्या 4 मानी जाती है. कालिका पुराण में शक्तिपीठों की संख्या 26 बताई गई है. शिव चरित्र के अनुसार शक्ति पीठों की संख्या 51 है. तंत्र चूड़ामणि, मार्कण्डेय पुराण के अनुसार शक्ति-पीठ 52 है. भागवत में शक्तिपीठों की संख्या 108 बताई गई है. तो चलिए आपको बताते हैं सबसे चर्चित 51 शक्तिपीठों के बारे में-
उत्तर भारत में 9 शक्तिपीठ हैं स्थापित
1. कश्मीर (अमरनाथ) : जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ में. इस स्थान पर माता का कण्ठ गिरा था.
2. कात्यायनी : वृन्दावन, मथुरा के भूतेश्वर में. इस स्थान पर केशपाश गिरा था.
3. विशालाक्षी : उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर. इस स्थान पर दाहिने कान के मणि गिरे थे.
4. प्रयाग : उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित है. इस स्थान पर माता की हाथ की अंगुलियां गिरी थीं.
5. ज्वालामुखी : हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित है. इस स्थान पर सती की जिह्वा गिरी थी.
6. जालंध्र : पंजाब के जालंधर में है. इस स्थान पर वामस्तन गिरा था.
7. देवीकूप पीठ कुरुक्षेत्र : हरियाणा के कुरुक्षेत्र के निकट द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है. इसे श्रीदेवीकूप भद्रकाली पीठ के नाम से जाना जाता है. यहां माता का दहिना चरण गिरा था.
8. मगध : बिहार की राजधानी पटना में स्थित पटनेश्वरी देवी को ही शक्तिपीठ माना जाता है. इस स्थान पर माता की दाहिनी जंघा गिरी थी.
9. मानस शक्तिपीठ : तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है. इस स्थान पर माता की दाहिनी हथेली गिरी थी.
पश्चिम भारत में स्थापित हैं 5 शक्तिपीठ
10. करवीर : महाराष्ट्र के कोल्हापुर में. इस स्थान पर माता का त्रिनेत्र गिरा था.
11. जनस्थान : महाराष्ट्र में नासिक स्थित पंचवटी में. इस स्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी.
12. अम्बाजी : गुजरात के बनासकांठा जिले में. इस स्थान पर माता का दिल गिरा था. कुछ ग्रंथों में जूनागढ़ के गिरनार पर्वत के शक्तिपीठ होने की मान्यता है.
13. मणिवेदिका : राजस्थान के पुष्कर में. इस स्थान पर कलाइयां गिरी थीं.
14. विराट का अम्बिका : जयपुर के वैराटग्राम में. यहां सती के दाएं पांव की अंगुलियां गिरी थीं.
दक्षिण भारत में स्थापित हैं 5 शक्तिपीठ
15. गोदावरी तट : आंध्र प्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर. इस स्थान पर माता का बायां कपोल गिरा था.
16. शुचीन्द्रम : तमिलनाडु, कन्याकुमारी के त्रिसागर संगम स्थल पर, जहां सती के ऊर्ध्वदन्त गिरे थे.
17. श्री शैल : आंध्र प्रदेश के कुर्नूल के पास. माता की ग्रीवा गिरी थी.
18. कांची : तमिलनाडु के कांचीवरम में. यहां माता का कंकाल गिरा था.
19. कण्यकाश्रम कन्याकुमारी : तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के संगम पर. यहां मतान्तर से ऊर्ध्वदन्त (ऊपर के दांत) गिरे थे.
# पश्चिम बंगाल में स्थित हैं 10 शक्तिपीठ
20. किरीट : हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर. इस स्थान पर किरीट यानी शिरोभूषण या मुकुट गिरा था.
21. अट्टहास : लाबपुर में है. इस स्थान पर नीचे का होंठ गिरा था.
22. नन्दीपुर : सैन्थया में है. यहां कण्ठहार गिरा था.
23. नलहटी : बोलपुर में उदरनली गिरी थी.
24. बहुला : कटवा जंक्शन के निकट केतुग्राम में है. इस स्थान पर माता का वाम बाहु गिरा था.
25. त्रिस्तोता : जलपाइगुड़ी के शालवाड़ी गांव में तीस्ता नदी पर. यहां माता का वामपाद गिरा था.
26 . विभाष : मिदनापुर में है. इस स्थान पर वाम टखना गिरा था.
27. युगाद्या : बर्दमान जिले के क्षीरग्राम में है. इस स्थान पर सती के दाहिने चरण का अंगूठा गिरा था.
28. कालीघाट : कालीमन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है. यहां दाएं पांव का अंगूठा छोड़ 4 अन्य अंगुलियां गिरी थीं.
29. वक्रेश्वर : सिन्थेया में है. इस स्थान पर मन गिरा था.
पूर्वोत्तर भारत में स्थित हैं 5 शक्तिपीठ
30. कामाख्या : गुवाहाटी का कामगिरि पर्वत. इस स्थान पर योनिदेश गिरा था.
31. जयन्ती : मेघालय की जयन्तिया पहाड़ी. इस स्थान पर वाम जंघा गिरी थी.
32. त्रिपुरसुन्दरी : त्रिपुरा के राध किशोर ग्राम में. इस स्थान पर जहां माता का दायां पैर गिरा था.
33. विरजाक्षेत्र, उत्कल : उड़ीसा के पुरी और याजपुर में माना जाता है, जहां माता की नाभि गिरी थी.
34. वैद्यनाथ : झारखण्ड के गिरिडीह, देवघर में है. इस स्थान पर माता का हृदय गिरा था.
मध्यप्रदेश में स्थापित हैं 2 शक्तिपीठ
35. उज्जयिनी : मध्य प्रदेश के उज्जैन के क्षिप्रा के दोनों तटों पर. इस स्थान पर माता की कोहनियां गिरी थीं.
36. शोण : मध्य प्रदेश के अमरकंटक का नर्मदा मंदिर. इस स्थान पर माता का दक्षिण नितम्ब गिरा था.
पाकिस्तान सहित 4 देशों में भी स्थापित हैं 8 शक्तिपीठ
37. श्रीलंका : यहां नूपुर गिरे थे.
38. गण्डकी : नेपाल में गण्डकी नदी के उद्गम पर है. सती के कपोल गिरे थे.
39. गुह्येश्वरी : नेपाल के काठमाण्डू में पशुपतिनाथ मन्दिर के पास है. यहां दोनों घुटने गिरे थे.
40. हिंगलाज : पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में है. माता की ब्रह्मरन्ध्र गिरा था.
41. सुगंध : बांग्लादेश के खुलना में सुगंध नदी के तट पर है. यहां माता का नासिका गिरी थी.
42. करतोयाघाट : बंग्लादेश भवानीपुर के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर. माता का वाम तल्प गिरा था.
43. चट्टल : बंग्लादेश के चटगांव में. यहां दाहिनी भुजा गिरी थी.
44. यशोर: बांग्लादेश के जैसोर खुलना में. यहां बायीं हथेली गिरी थी.
इन 7 शक्तिपीठ के स्थान पर है मतभेद
45. श्री पर्वत शक्तिपीठ: कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है.
46. पंच सागर शक्तिपीठ : इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है.
47. भैरव पर्वत शक्तिपीठ : कुछ लोग गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षिप्रा नदी तट पर इसे मानते हैं.
48. मिथिला शक्तिपीठ : नेपाल के जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा में इसका स्थाना माना जाता है.
49. रत्नावली शक्तिपीठ : कहा जाता है कि तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है.
50. कालमाधव शक्तिपीठ : इस शक्तिपीठ के बारे कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है.
51. रामगिरि शक्तिपीठ : रामगिरि शक्तिपीठ कुछ लोग मध्यप्रदेश के मैहर में मानते हैं.