July 13, 2020 Blog

हरतालिका तीज के व्रत की पूजन विधि ...जानिए यहां|

BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

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वैसे तो हिन्दु धर्म में तीज-त्यौहारों की काफी मान्यता है। जैसे –जैसे शहर बदलते है वैसे –वैसे उनके कल्चर के हिसाब से व्रत, त्यौहार भी दूसरे होते है। लेकिन भारत देश के राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश और दिल्ली , हरियाणा इन कुछ राज्यों के रीति-रिवाज समान होती  है ।

और इन त्यौहारों में महिलाओं के लिए हरतालिका तीज त्यौहारों का भी एक विशेष महत्व है। इस दिन गौरी- शंकर की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लम्बी होती है। जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर की प्राप्ति होती है।  साउथ इंडिया में इस व्रत को गौरी हब्बा के नाम से जाना जाता है।

हरतालिका तीज का व्रत कैसे,  और कब किया जाता है चलिए बताते है आपकों-


   हिन्दू पत्रा के अनुसार हरतालिका तीज भाद्रपद यानि की भादों महिने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। और इस बार यह हरतालिका तीज का व्रत 12 सितम्बर को पड़ रहा है।  हरतालिका तीज व्रत बेहद ही कठिन व्रत माना जाता है। यह व्रत निर्जला यानि की जिसमें जल भी ग्रहण करने की अनुमति ना हो, होता है। व्रत वाले दिन सुबह –सवेरे स्नान करने के बाद माता पार्वती के सामने हाथ जोड़कर संकल्प लिया जाता है।

हरतालिका तीज की पूजन सामग्री -हरतालिका व्रत के लिए ये पूजा की सामग्री होना आवश्यक है। गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्‍त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद।  साथ में माता पार्वती की पूजा करने के लिए सुहाग सामग्री भी होनी चाहिए। जिसमें मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, कुमकुम, सिन्दूर, काजल, बिन्दी, और पूरी सुहाग पिटारी जिसमें 16 सुहाग श्रृंगार की चीज़े
होती है।

पूजन विधी-
  1. इस तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष  काल यानि कि दिन और रात के मिलने का समय। हरतालिका तीज पर शाम के वक्त दोबारा से स्नान कर साफ और सुन्दर वस्त्र धारण कर शिवजी और पार्वती की विधिपूर्वक पूजा की जानी चाहिए।
  2. सुहागिन महिलाएं पूर्णत सोलह श्रृंगार कर इस को पूजा करें, जिससे माता पार्वती बहुत प्रसन्न होती है।
  3. पूजा करने से पहले गीली मिट्टी से माता पार्वती और शिवजी की मूर्त रूप बनाना चाहिए। और उन मूर्ति को नये-नये वस्त्र अर्पित करने चाहिए। माता पार्वती का सोलहा श्रृंगार कर सजाना-संवारना चाहिए।
  4. दूध, दही , घी , शहद , शक्कर से  पंचामृत बनाकर भगवान का भोग लगाना चाहिए।। और फिर हरतालिका व्रत की कथा भी सुननी चाहिए।
  5. इसके बाद माता पार्वती और शिवजी की आरती उतारें और हां भगवान गणेश जी की पूजा करना भूले, माता पार्वती नाराज हो सकती है। क्योंकि गणेश जी मां पार्वती के प्रिय पुत्र है इसलिए शिवजी और मां पार्वती की पूजा करने से पहले गणेश जी की पूजा करना आवश्यक है।
  6. इसके बाद बाद भगवान की परिक्रमा लगाएं । और रात भर जागरण करना चाहिए।
  7. अगले दिन सुबह स्नान करके मां पार्वती का पूजन करे उन्हें सिन्दूर अर्पित करें।
  8. फिर हरी सब्जी या फल, या ककड़ी और हल्वे का भोग लगाएं और भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत खोलें। और सारी पूजन सामग्री को किसी सुहागिन महिला को दान कर दें।
 हरियाली तीज तृतीया तिथि 22 जुलाई को शाम 07 बजकर 23 मिनट से आरम्भ होकर 23 जुलाई को शाम 05 बजकर 04 मिनट तक रहेगी। 

Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.