By: Deepika
यह शाश्वत सच है कि शरीर पांच तत्वों अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश से मिलकर बना होता है और एक दिन यह शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों में विलीन हो जाएगा।
जब हम इस दुनिया को अलविदा कहते हैं तो हमारा क्या होता है। य़ह प्रश्न दुनिया के हर इंसान के मन में आता है और इसे जानने के लिए बेहद ही उत्सुक रहता है कि मरने के बाद हमारी क्या स्थिति होती है और हम कहां जाते है।
कहते है कि आत्मा अजर- अमर है यानि कि आत्मा कभी भी नही मरती है, सिर्फ शरीर मरता है। वैसे तो मृत्यु के विषय में दुनिया भर में कई किवंदतिया, अलग- अलग बातें और मान्यताएं प्रचलित हैं।
इन मान्यताओं और किवदंतियों में अधिकांश बातें काल्पनिक और झूठी होती है।लेकिन समय-समय पर इस दुनिया में कुछ ऐसे तत्वज्ञानियों और योगियों ने जन्म लिया है और इस जन्म- मरण की गुत्थी को कुछ हद तक सुलझाया गया है। कुछ आत्मज्ञानी महापुरूष समाधि के उच्च स्तर पर पहुंचकर समय के बंधन से मुक्त हो जाते हैं यानि कालातीत हो जाते हैं। लेकिन कुछ सिद्ध योगियों को ऐसा स्पष्ट कहना है कि जीवन भी असीम और अनन्त है। जीवन का ना तो कभी प्रारम्भ होता है और ना ही कभी अन्त होता है।
गरूड़ पुराण के अनुसार मरने के बाद आत्मा के साथ व्यवहार किया जाता है। अर्थात उसे उसके कर्मों के अनुसार फल भुगतने होते है। कहते है कि जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे दो यमदूत लेने आते हैं और मनुष्य ने जो अपने जीवन में कर्म किए है उसके अनुसार उसे अपने साथ नरक या स्वर्ग ले जाते है। अगर मरने वाला व्यक्ति सत्पुरूष होता है, अर्थात उसने पुण्य किया है तो उसके प्राण निकलने में कोई पीड़ा नहीं होती है, लेकिन यदि वह दुराचारी या पापी होता हो तो उसे पीड़ा सहनी ही पड़ती हैं।
गरूड़ पुराण में यह उल्लेख भी मिलता है कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत केवल 24 घंटों के लिए ही ले जाते हैं और इन 24 घंटों के दौरान आत्मा को यह दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और कितने पुण्य किए है। फिर उसके बाद परिवार में जब तक मरने वाले इंसान की तेरहवीं या पूरे क्रिया क्रम नही होते है तब तक आत्मा वहीं रहती है। 13 दिन पश्चात् आत्मा फिर यमलोक की यात्रा करती हैं।
पुराणों के अनुसार यह भी कहा जाता है कि जब भी कोई मनुष्य मरता है तब आत्मा शरीर का त्याग कर यात्रा शुरू करती है, तो इस दौरान उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते है। वे मार्ग इस प्रकार से है- अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और उत्पत्ति विनाश मार्ग । इन तीनों मार्ग का अर्थ इस प्रकार से है- अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है, वहीं धूम मार्ग पितृलोक की यात्रा पर ले जाया जाता है और तीसरा मार्ग उत्पत्ति विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए होता है। और जब इंसान की आत्मा को मरने के बाद कर्मों के अनुसार इनकों यात्राओं पर भेजा जाता है।
तो शास्त्रों के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा के साथ ऐसा होता है यह 100 प्रतिशत सत्य कहना भी सही नही है। क्योंकि विज्ञान के अनुसार पुराणों की रचना भी देखने और सुनने वाली घटनाओं पर ही की गई थी। उस वक्त भी कुछ मिथ्य और कुछ किवदंतियों ने पुराणों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई होगी।