August 15, 2018 Blog

काशी विश्वनाथ की कथा!

BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

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By: Sonu Sharma

काशी विश्वनाथ मंदिर हिन्दू देवस्थानों में  एक विशिष्‍ट स्‍थान है और ये भारत के प्रसिद्ध मंदिरो में से एक है । यह मंदिर गंगा जी के पावन तट पर बनारस में बसा है । काशी कोभगवान शिव की सबसे प्रिय नगरी कहा जाता है, माना जाता है की यदि किसी की मृत्यु कशी में होती है तो उस व्यक्ति को जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। यह धर्म,कर्म और मोक्ष की नगरी मानी जाती है ।

विश्वनाथ मंदिर को कई वर्षो पूर्व औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था और फिर 18वीं शताब्दी में इन्दौर की रानी अहिल्या बाई होल्कर ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया । विश्वनाथबाबा के मंदिर में चार प्रमुख द्वार है; शांति द्वार, कला द्वार, प्रतिष्ठा द्वार और निवृत्ति द्वार, विश्व का यह एकलौता ऐसा मंदिर है जहा शिवशक्ति एक साथ विराजमान है । कहाजाता है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर के संबंध में बहुत सी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि शिव जी पार्वती जी से विवाह करने के बाद कैलाश पर्वत पर रहने लगे और पारवती जी इसबात से नाराज हो गई और तब शिव जी कैलाश पर्वत को छोड़ कर पार्वती जी के साथ काशी नगरी में आकर रहने लगे और काशी में ज्योतिर्लिग के रूप में स्थापित हो गए।

दूसरी प्रचलित कथा के अनुसार माना जाता है की काशी नगरी शिव के त्रिशूल पर विराजमान है, कहा जाता है कि जिस जगह पर ज्योतिर्लिग स्थापित है वह जगह लोप नहीं होती,प्रलय आने पर शिव जी उस स्थान को अपने त्रिशूल पर उठा लेते है और बाद में उसी स्थान पर विराजमान कर देते है और ये नगरी जो की त्यों बनी रहती है ।

काशी की इस पावन नगरी को यह गौरव प्राप्त है कि यह विद्या, साधना और कला का अधिष्ठान रही है।

Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.