By: Sonu Sharma
राजस्थान की धरती पर बहुत से प्रमुख मंदिर और किले है, लेकिन जयपुर से करीब 80 किमी दूर सीकर जिले मेँ स्थित खाटूश्यामजी मंदिर देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपनीप्रसिद्धि बनाए हुए है । पूरे विश्व में खाटू श्याम जी की बहुत मान्यता है और इसका उदाहरण यहाँ प्रतिवर्ष लगने वाला मेला है जो होली के आस पास लगता है, इस मेले में देश विदेश से भक्त आते है, हजारों लोग यहां पदयात्रा कर पहुंचते हैं । इस मंदिर में विराजित खाटू श्याम जी को भगवान श्री कृष्ण का एक अन्य अवतार माना जाता है। इस मंदिर की आधारशिला सन् 1720 में रखी गई थी।

इस प्राचीन मंदिर के साथ एक कथा जुडी हुई है, कहा जाता है कि महाभारत काल में भीम के पौत्र बर्बरीक बचपन से ही बहुत बलवान थे और अग्नि देव ने उनकी वीरता से खुश होकर उन्हें एक धनुष दिया और भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें तीन तीर दिये। वो महाभारत के युद्ध में शामिल होना चाहते थे लेकिन कृष्ण जी ने उनसे कहा की केवल तीन तीरों से युद्ध में कोई विजय नहीं हो सकता और तब बर्बरीक ने कृष्ण जी को अपने तीन तीरों का महत्व बताया।
कृष्ण जी ने ब्राह्मण का रूप धारण करके बर्बरीक से उनका सिर दान में माँगा, ऐसी मांग सुनकर बर्बरीक ने ब्राह्मण से अपने वास्तविक रूप में आने की प्रार्थना की और तब श्री कृष्ण अपने असली रूप में प्रकट हुए और बर्बरीक ने अपना सिर काटकर दान में दे दिया। श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि कलयुग में उसकी पूजा श्याम के नाम से होगी । खाटू में श्याम के मस्तक स्वरूप की पूजा होती है और पास में स्थित रींगस में धड़ स्वरूप की पूजा की जाती है। माना जाता है की जब सब जगह से निराश व्यक्ति श्याम बाबा की भक्ति में लीन हो जाता है तब उसके सब दुःख समाप्त हो जाते है और उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.