हिन्दी शास्त्र के अनुसार एक महीने में पंद्रह पंद्रह दिन के दो पक्ष होते है; एक कृष्ण पक्ष है और दूसरा शुक्ल पक्ष । हर अलग अलग दिन यानि तिथि के अलग कारक देवता होते हैं। यदि हर तिथि पर उसके कारक देवता कीपूजा की जाए तो यह बहुत शुभ होता है । जानते है किस तिथि को किस देवता की पूजा अर्चना करनी चाहिए ।
पहली तिथि यानी प्रतिपदा तिथि को अग्नि देव की पूजा करनी चाहिए । दूसरी यानी द्वितिया तिथि को ब्रह्माजी की पूजा करनी चाहिए। तृतीया के दिन कुबेर देव की पूजा, चतुर्थी के दिन भगवान गणेशजी की पूजा, पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा, षष्ठी को कार्तिकेय की पूजा, सप्तमी को सूर्य भगवान और अष्टमी को शिवजी की पूजा करनी चाहिए । नवमी के दिन दुर्गा माँ की पूजा करनी चाहिए। दशमी केदिन यमराज की पूजा, एकादशी को विश्वेदेवों की पूजा, द्वादशी को विष्णु जी की अर्चना, त्रयोदशी को कामदेव की पूजा, चतुर्दशी तिथि को शिवजी की पूजा, पूर्णिमा के दिन चंद्र देवी की पूजा तथा अमावस्या को पितर देवताकी पूजा करनी चाहिए ।
पूजा का फल तब मिलता है जब पूजा पूरी विधि के साथ की जाए। सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद उस तिथि के स्वामी की पूजा करनी चाहिए तथा पूजा में कुमकुम, दीपक, तेल चावल, प्रसाद के लिए सामान, रुई, धूपबत्ती, फूल आदि अवश्य रखें। पूजा में भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए की वो सबके दुःख और परेशानी को दूर करे ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.