आयुर्वेद के हिसाब से पानी हमेशा धीरे-धीरे पीना चाहिये, जब हम धीरे-धीरे पानी पीते हैं तो हमारे घूँट में मुँह की लार पानी के साथ पेट में जाती है और पेट में एसिडिटी को शांत करती है और इससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है । मुँह की लार पेट में जाए इसके लिये जरुरी है की पानी धीरे - धीरे पीना चाहिये और बैठकर पीना चाहिए।
आयुर्वेद के हिसाब से सुबह उठते ही सबसे पहले बिना ब्रश किये एक गिलास पानी पीना चाहिए, इससे रात में सोते समय हमारे मुँह में जो भी जीवाणुनाशक होते है वो सुबह पानी पीने से पानी के साथ पेट में चले जाते है और हमारे शरीर को रोगो से दूर रखते है ।
जितना वजन हमारे शरीर को होता है, उसका 10th पोरशन यानि 10 वें भाग में से 2 कम करने के बाद जो संख्या आती है उतना लीटर पानी पीना चाहिए, ऐसा करने से पेट से सम्बन्धी समस्या जैसे की कब्ज, अपच, मोटापा आदि रोगों में लाभ होता है।
व्यक्ति को पूरे दिन में कम से कम 4 लीटर पानी पीना चाहिए, जिन लोगो को किडनी में स्टोन है उनके लिए जरुरी है कि वह ज़्यादा से ज़्यादा पानी पियें और अधिक बार मूत्र त्याग करें। खड़े होकर पानी पीने से व्यक्ति को गुर्दे की बीमारी भी हो सकती है क्युकी पानी तेजी से गुर्दे से बिना साफ़ हुए निकल जाता है और इस वजह से खून में गंदगी जम जाती है जिसके कारण गुर्दे और दिल की बीमारी हो सकती है ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.