व्रत व उपवास का वैज्ञानिक दृष्टिकोण है की हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कभी - कभी हल्का आहार, फलाहार या पूरे दिन कुछ न ग्रहण करके शरीर की शुद्धि की जाती है, इसी बात को ध्यान में रखकर इसे धार्मिक रूप प्रदान किया गया है तथा अलग - अलग धर्मो में कुछ विशेष दिनों में उपवास करने का प्रावधान है ।
व्रत व उपवास हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है । इनको करने से मन व शरीर दोनों ही पवित्र होते है, कभी - कभी हम धार्मिक श्रद्धा के कारण व्रत तो कर लेते है लेकिन सावधानी नहीं बरतते इससे हमे बहुत परेशानी का सामना करना पड़ सकता है ।
कुछ लोग व्रत के समय फलाहार करते है, वह अन्न से बने पदार्थो का त्याग करते है इससे हमारे शरीर के विषाक्त कीटाणु निकल जाते है तथा शरीर की शुद्धि हो जाती है लेकिन हमे कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए जैसे की फलो के साथ नमक, चीनी व ग्लूकोस का सेवन करने से लौ ब्लड शुगर की समस्या से बच सकते है ।
बहुत से लोग व्रत व उपवास में पूरे दिन कुछ नहीं खाते लेकिन रात्रि में एक साथ गरिष्ठ भोजन ग्रहण करते है जोकि रोगी व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकता है। पानी न पीने से डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है ।
हमे व्रत अपनी क्षमता के अनुसार ही करने चाहिए तथा यदि व्यक्ति रोगी हो या शरीर कमजोर हो तो डॉक्टर का परामर्श लेने के बाद ही व्रत उपवास करना चाहिए वर्ना हमे हानि भी उतनी पड़ सकती है ।