ज्येष्ठ माह की तप्ती दुपहरी से कौन वाकिफ नहीं है, ज्येष्ठ माह में गर्मी अपने पूरे शबाब पर होती है, इस माह में गर्मी के कारण जल की मेहता और भी बढ़ जाती है इसलिए इस माह में ऐसे व्रत व त्यौहर आते है जिनका सम्बन्ध जल से होता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ज्येष्ठ नक्षत्र होता है इसलिए इसका नाम ज्येष्ठ माह पड़ा । यह त्यौहार जल के महत्व को दर्शाता है, जानते है ज्येष्ठ मास के व्रत व त्यौहारों के बारे में -
इस माह में गंगा दशहरा का त्योहाय आता है, यह ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है, यह त्यौहार गंगा माता के महत्व को दर्शाता है ।
निर्जला एकादशी का व्रत बहुत ही पवित्र माना जाता है क्योकि इस दिन निर्जल उपवास रखकर दुसरे को जल पीलाना पड़ता है । यह व्रत बहुत ही कठिन होता है तथा व्रती के संतोष को दर्शाता है।
वट पूर्णिमा का व्रत महिलाए अपने पति की लम्बी आयु व सौभाग्य के लिए रखती है, यह महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में मनाया जाता है ।
ज्येष्ठ माह की कृष्ण एकादशी को अपरा एकादशी के रूप में मनाया जाता है, इस दिन विशेष रूप से विष्णु भगवान की पूजा की जाती है ।
ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री का व्रत किया जाता है, इस दिन शनिदेव की जयंती भी मनायी जाती है । वैसे भी अमावस्या को पूर्वजो का तर्पण किया जाता है ।