हिन्दू मंदिरों मे दर्शनार्थी को प्रसाद स्वरुप पंचामृत प्रदान किया जाता है, हिन्दू धर्म में यह पंचामृत सभी देवी देवताओं की पूजा में प्रयोग किया जाता है और इसी पंचामृत से प्रमुख देवता का अभिषेक किया जाता है, इसके बिना क्रिया अधूरी मानी जाती है।
पंचामृत में प्रयोग में आने वाली वस्तुएँ मनुष्य के जीवन का आधार है, पंचामृत अभिषेक से प्रसन्न होकर देवता अपना आशीर्वाद प्रदान करते है। आध्यात्मिकता दृष्टि के साथ - साथ यह स्वास्थ के लिए भी लाभदायक होता है । यह हमारे भावों, विचारों में सकारात्मकता का संचार करने के साथ - साथ पॉजिटिव ऊर्जा भी प्रदान करता है ।
पंचामृत जैसा कि नाम से ही विदित है पांच वस्तुओं से मिलकर बनता है; दूध, दही, घी, शहद तथा चीनी । दूध को पवित्र माना जाता है तथा यह शुभता का प्रतीक है । गाय का दूध अतिशुद्ध होने से यह देवताओं के अभिषेक में प्रयोग होता है । दही का प्रयोग प्रत्येक शुभ कार्य में किया जाता है और यह भी दूध से ही बनता है । घी का प्रयोग भी शुभता कि दृष्टि से किया जाता है इसीलिए मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाया जाता है । शहद को भी अमृत की श्रेणी में रखा गया है और इसका प्रयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है । चीनी ख़ुशी की मिठास का प्रतीक है, चीनी की जगह मिश्री भी प्रयोग में ला सकते है । पंचामृत के नियमित सेवन से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्ट्रांग होती है ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.