नौ दिनों के व्रत और पूजन के बाद आने वाली दशमी को विजय का त्यौहार मनाया जाता है शारदीय दशमी माँ अम्बे की महिषासुर नामक भयानक दैत्य पर विजय प्राप्ति के उपलक्ष्य में मनाया जाता है | हिन्दू सनातन धर्म में ऐसा माना जाता है की व्रत और पूजन से ही देवताओ को शक्ति प्राप्त होती है | महिषासुर के वध के लिए देवताओ और मनुष्यो ने मिलकर नौ दिन तक देवी का पूजन किया और उस पुण्य की शक्ति के प्रभाव से ही देवी ने महिषासुर का वध किया | चैत्र के नवरात्र की दशमी भगवान राम की रावण पर विजय के प्रतीक स्वरूप मनाई जाती है | कई दिनों तक कई भयानक राक्षसों का वध करने के पश्चात भगवान श्री राम ने रावण का अंत कर उसके अत्याचारों का अंत किया | ये दोनों दश्मिया विजय दशमी के रूप में मनाई जाती है | भगवान राम ने भी विजय प्राप्ति के लिए समुद्र तट पर माँ शक्ति का पूजन कर उनसे विजय का वर प्राप्त किया था | भगवान राम ने माँ दुर्गा को 1000 कम पुष्प चढ़ाये | माँ ने उनकी परीक्षा लेने के लिए एक कमल पुष्प गायब कर दिया तब कमल नयन भगवान श्री राम ने अपना एक नेत्र ही उन्हें अर्पित कर दिया तब से उनका नाम कमल नयन पड़ा और माँ ने उन्हें विजय प्राप्त करने का वरदान दिया | बंगाल प्रांत में माँ दुर्गा का यह पर्व प्रमुख त्यौहार के रूप में मनाया जाता है | वहाँ बड़ी बड़ी प्रतीमाये सजाई जाती है और नौ दिन के पूजन के पश्चात उनका विसर्जन किया जाता है | देश के कई हिस्सों में यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है | हिमाचल से लेकर बंगाल प्रांत तक माँ दुर्गा का पूजन और विजय दशमी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है |
अच्छाई कई बुराई के इस पर्व को हम हर वर्ष इस लिए भी मनाते है ताकि हमे यह हमेशा याद रहे कई बुराई का अंत बुरा ही होता है | हमे परिस्थियों में फस कर गलत मार्ग को नहीं अपनाना चाहिए और ईश्वर भरोसा रखते हुए सदैव सत्य के मार्ग ही चलना चाहिए |
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.