हिन्दू धर्म में पूजा उपासना का अपना खास ही महत्त्व है, पूजा में अपने आराध्य के समक्ष कुछ खास किस्म के द्रव्य अर्पण किये जाते है, उन द्रव्यों का अलग ही महत्व होता है ।
पूजा में इष्ट देव को अक्षत अर्पण किया जाता है जो सम्पनता का प्रतीक है, पूजा में चढ़ाया जाने वाला चन्दन शीतलता का प्रतीक है । चंदन माथे पर लगाने से मन शांत रहता हैं तथा मन में नकारात्मक विचार आने रुक जाते है ।
भगवन के समक्ष पुष्प स्वयं को यह अहसास करने के लिए चढ़ाया जाता है की हमारा मन अंदर व बाहर से पुष्प की महक से महकता रहे । नैवैद्य संपूर्ण करके अपने जीवन में मिठास व मधुरता व सौम्यता प्राप्त करने के लिए चढ़ाया जाता है ।
धुप सुगन्धित होने से मन में पोसिटिव विचारों को उत्पन्न करती है तथा वातावरण को शुद्ध व सुगन्धित बनाता है । दीपक अर्पण करने का उद्देश्य मिट्टी के दीपक में व्याप्त पांच तत्व है क्योकि सृष्टि भी इन्ही पाँच तत्वों से मिलकर बनी है ।
घंटी वातावरण को शुद्ध करने व नकारात्मकता को हटाने के लिए बजाई जाती है, शंख पूजा स्थान में रखने से लक्ष्मी जी का वास होता है तथा इसको पूजा के समय बजाने से तीर्थ यात्रा के समान पुण्य की प्राप्ति होती है ।
रोली को पूजा के समय चावल के साथ माथे पर लगाया जाता है, यह शुभ होने के साथ हमे स्वस्थ रखता है तथा यह साहस का प्रतीक भी है । पूजा में अर्पण किया जाने वाला पंचामृत में रोग से बचने की शक्ति होने के साथ यह पुष्टिकारक भी होता है ।
ताम्बे के लोटे में जल और तुलसी डालकर तीन बार आचमन किया जाता है, ऐसा पूजा के फल को बढ़ाने के लिए किया जाता है ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.