प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में कुछ न कुछ योग विद्यमान होते है चाहे वह शुभ हो या अशुभ, ऐसा ही एक योग बनता है जब कुंडली में किसी भी भाव में बुध और सूर्य एक ही भाव में स्थित हो तो उसे बुधादित्य नामक योग से जाना जाता है । बुध सूर्य के सबसे समीप होने के कारण अधिकतर कुंडलियों में देखने को मिलता है ।
बुध बुद्धि का कारक है, यह व्यक्ति को वाक कुशलता, नेतृत्व करने की क्षमता तथा प्रतिष्ठा दिलाता है । यह योग सभी कुंडलियों में समान प्रभाव नहीं देता, यह कही शुभ प्रभाव देता है और कही सम प्रभाव । यदि सूर्य शुभ हो व बुध अशुभ हो तो सूर्य पर बुध का प्रभाव पड़ेगा, इसी प्रकार सूर्य अशुभ हो व बुध शुभ हो तो बुध भी अशुभ प्रभाव देगा ।
लग्न या पहले भाव में बुधादित्य योग के बनने से व्यक्ति को मान - सम्मान व प्रसिद्धि मिलती है, दूसरे भाव में धन सम्पति तथा अच्छा वैवाहिक जीवन मिलता है, तीसरे भाव में योग के बनने से व्यक्ति को सेना, पुलिस या अच्छा पद मिलता है, चौथे भाव में यह योग वाहन सुख, विदेश भ्रमण तथा ऐश्वर्य देता है। पांचवे भाव में यह कुशल नेतृत्व व आध्यात्मिक क्षमता देता है । छटे भाव में बनने वाला योग व्यक्ति को वकील, जज व ज्योतिषी बना सकता है, वही सप्तम भाव में यह योग सुखमय वैवाहिक जीवन तथा सामाजिक प्रसिद्धि दिलाता है । आठवें भाव का बुधादित्य योग पूर्वजों से प्राप्त धन तथा नवम भाव का योग सरकार में मंत्री पद या धार्मिक संस्था में उच्च पद दिलाता है । दसवे भाव में बनने वाला योग व्यवसाय में सफलता तथा प्रसिद्धि दिलाता है ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.