27 Nakshatras: वैदिक ज्योतिष में ग्रहों और नक्षत्रों की गति का जीवन पर गहरा प्रभाव माना गया है। ग्रहों की चाल जहां किसी व्यक्ति के जीवन में अच्छे या बुरे समय का संकेत देती है, वहीं नक्षत्र व्यक्ति के स्वभाव, सोच और जीवनशैली को प्रभावित करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों (27 Nakshatras) का वर्णन मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ये सभी 27 नक्षत्र दक्ष प्रजापति की पुत्रियां मानी जाती हैं। पूरे आकाश को इन 27 नक्षत्रों में विभाजित किया गया है और कुल 9 ग्रहों को इनमें समायोजित किया गया है — हर ग्रह तीन-तीन नक्षत्रों का स्वामी होता है।
जब हम अंतरिक्ष या खगोल विज्ञान की बात करते हैं, तो चंद्रमा और अन्य ग्रहों की गति को लेकर कई गणनाएं सामने आती हैं। अगर सरल भाषा में समझें तो नक्षत्र तारा समूह होते हैं, जो चंद्रमा की गति के साथ जुड़े होते हैं। चंद्रमा लगातार पृथ्वी के चारों ओर अपनी परिक्रमा करता रहता है, और यह चक्र करीब 27.3 दिनों में पूरा होता है। इस दौरान वह आकाश में मौजूद 27 अलग-अलग तारों के समूहों — यानी नक्षत्रों — से होकर गुजरता है।
असल में, इन तारों के समूहों को ही नक्षत्र कहा जाता है। चंद्रमा हर एक नक्षत्र में कुछ समय के लिए ठहरता है, और इन्हीं के आधार पर वैदिक ज्योतिष में 27 प्रमुख नक्षत्र माने गए हैं। पूरा आकाश इन्हीं 27 नक्षत्रों (27 Nakshatra Names) में बंटा हुआ है, और हर राशि चक्र को भी इन्हीं में विभाजित किया गया है।
जिस तरह सूर्य हर महीने एक-एक राशि में भ्रमण करता है, उसी तरह चंद्रमा हर महीने इन 27 नक्षत्रों में से एक-एक में प्रवेश करता है। चंद्रमा के इस भ्रमण के समय को ही नक्षत्र मास कहा जाता है, जिसकी अवधि लगभग 27 दिनों की होती है।(27 Nakshatra names)
जब कोई व्यक्ति जन्म लेता है, उस समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में स्थित होता है — यानी जिस तारों के समूह के साथ उसका संयोग बन रहा होता है — वही उसका जन्म नक्षत्र कहलाता है। और ज्योतिष के अनुसार, यही जन्म नक्षत्र व्यक्ति के स्वभाव, भाग्य और जीवन की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अब जब नक्षत्रों की इतनी अहम भूमिका है, तो चलिए आगे बढ़कर जानते हैं इन 27 नक्षत्रों के नाम (27 nakshatra ke naam) और उनके खास मायनों के बारे में।
ज्योतिष में चंद्रमा की चाल के आधार पर आकाश को 27 हिस्सों में बांटा गया है, जिन्हें नक्षत्र कहा जाता है। हर नक्षत्र का अपना एक नाम, स्वभाव और असर होता है। यह रहा 27 नक्षत्रों के नामों (27 Nakshatras ke naam) का सरल अर्थ—संक्षिप्त और समझने योग्य भाषा में:

इन सभी नक्षत्रों को उनके असर के अनुसार तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है:
इन नक्षत्रों (27 Nakshatra names) में कोई भी नया काम करना, शुभ कार्य करना या कोई बड़ा फैसला लेना अच्छा माना जाता है। सफलता मिलने की संभावना ज्यादा होती है।
शुभ नक्षत्र हैं:
अश्विनी, मृगशिरा, रोहिणी, पुष्य, हस्त, चित्रा, रेवती, श्रवण, स्वाति, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढ़ा, उत्तर फाल्गुनी, घनिष्ठा और पुनर्वसु।
इन नक्षत्रों में कोई विशेष या जोखिम भरा काम करने से बचना चाहिए। हालांकि सामान्य दिनचर्या या छोटे-मोटे काम किए जा सकते हैं।
मध्यम नक्षत्र माने जाते हैं:
पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वा भाद्रपद, विशाखा, ज्येष्ठा, आर्द्रा, मूल और शतभिषा।
इन नक्षत्रों (27 Nakshatras) में शुभ काम जैसे विवाह, गृह प्रवेश या नया व्यवसाय शुरू करने से बचना चाहिए। इनका असर रुकावट या हानि देने वाला माना जाता है।
अशुभ नक्षत्र हैं:
भरणी, कृत्तिका, मघा और आश्लेषा।
हालांकि ये नक्षत्र (27 Nakshatras) कभी-कभी बड़ी और कठिन गतिविधियों (जैसे भवन गिराना, विस्फोट, सैन्य परीक्षण आदि) के लिए उपयुक्त माने जाते हैं, लेकिन आम जीवन में ये काफी संवेदनशील माने जाते हैं।
केतु:- आश्विन, मघा, मूल।
शुक्र:- भरणी, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा।
रवि:- कार्तिक, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा।
चन्द्र:- रोहिणी, हस्त, श्रवण।
मंगल:- मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा।
राहु:- आर्द्रा, स्वाति, शतभिषा।
बृहस्पति:- पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वा भाद्रपद।
शनि:- पुष्य, अनुराधा, उत्तरा भाद्रपद।
बुध:- आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती।
जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में प्रवेश करता है, तो उस समय को पंचक कहा जाता है। यह काल शुभ नहीं माना जाता। इस दौरान चंद्रमा जिन पांच नक्षत्रों — घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती — में से गुजरता है, उन्हें मिलाकर ही पंचक बनता है।
इस समय कुछ कामों से बचने की सलाह दी जाती है:
अब बात करते हैं गंडमूल या मूल नक्षत्र की। ये नक्षत्र स्वभाव से काफी तीव्र या उग्र माने जाते हैं। जिन छह नक्षत्रों को गंडमूल कहा जाता है, वे हैं: अश्विनी, आश्लेषा, मघा, मूला, रेवती और ज्येष्ठा।
इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले बच्चों का जीवन कई बार उतार-चढ़ाव से भरा होता है। इसलिए परंपरा रही है कि ऐसे बच्चों के जन्म के 27वें दिन विशेष पूजा करवाई जाती है, ताकि उनके जीवन से संभावित अशुभ प्रभावों को दूर किया जा सके।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, नक्षत्र (27 Nakshatras) सिर्फ आपके जन्म का समय नहीं बताते — ये आपके स्वभाव, सोच, व्यवहार और जीवन के रास्तों को भी गहराई से प्रभावित करते हैं। इसलिए जब भी हम नक्षत्रों की बात करते हैं, तो पंचक और गंडमूल जैसे पहलुओं को समझना बेहद जरूरी हो जाता है।
वैदिक ज्योतिष में नक्षत्रों का विशेष स्थान है। इन्हें केवल तारे नहीं, बल्कि जीवन की दिशा तय करने वाले सूक्ष्म चालक माना जाता है। जब चंद्रमा अलग-अलग नक्षत्रों से होकर गुजरता है, तो उसका असर हमारे जीवन की तरक्की, थकान, या किसी चीज़ पर स्वामित्व जैसी परिस्थितियों पर पड़ता है। यही कारण है कि नक्षत्रों को समझना और उनका विश्लेषण करना ज्योतिष के लिए बहुत जरूरी हो जाता है।
यह जरूरी नहीं कि ज्योतिष के हर नियम हमेशा सटीक परिणाम ही दें, क्योंकि यह कोई प्रयोगशाला की साइंस नहीं, बल्कि अनुभव और गहराई पर आधारित विद्या है। फिर भी, नक्षत्र आधारित ज्योतिषीय सिद्धांत समय के साथ कई बार अपनी सटीकता साबित कर चुके हैं।
ज्योतिष की अलग-अलग प्रणालियां होती हैं — जैसे:
इस प्रणाली की नींव महर्षि सत्याचार्य की महान रचना ‘सत्य जातकम्’ पर टिकी है, जिसमें ध्रुव नाड़ी जैसी गूढ़ बातें भी शामिल हैं। यहां तक कि प्राचीन महान ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर ने भी सत्याचार्य और उनके कार्यों की अत्यंत सराहना की है।
इसलिए कहा जा सकता है कि नक्षत्र (27 Nakshatra names)केवल जन्म का संकेत नहीं देते, बल्कि जीवन की दशा और दिशा को भी प्रभावित करते हैं।
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Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.