मुंडन संस्कार या चूड़ाकर्म संस्कार बच्चो में एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है । बच्चे के जन्म के समय के बालों को उतरवाना ही मुंडन संस्कार होता है, ऐसा माना जाता है की जन्म के समय के बालों को गर्भावस्था के समय की अशुचिता को दूर करने के लिए, स्वास्थ रक्षा के लिए, सिर की त्वचा को जू, लीख, चर्म रोगों से बचाव के लिए किया जाता है ।
बाल उतरवाने से दिमाग की रक्षा होती है, सिर ठंडा रहता है, सिर की अनावशयक गर्मी निकल जाती है । दांत निकलने में होने वाली समस्याएँ जैसे सिर दर्द या तालु का कंपन बंद हो जाता है । सिर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिलने से सिर की कोशिकारा जाग्रत होती है तथा रक्त का संचरण ठीक से होता है । भविष्य में आने वाले केश घने तथा अच्छे होते है ।
कुछ लोगो का मानना है की इससे बालक का बौद्धिक विकास अच्छा होता है, बालक के मन में अच्छे विचार आते है, शरीर पुष्ट होता है तथा बुद्धि में वृद्धि होती है । मुंडन संस्कार किसी देवाचल या तीर्थ स्थान पर करने की परंपरा है क्योकि वहाँ का वातावरण दिव्य होता है ।
ज्योतिषी के अनुसार इससे राहु ग्रह की शांति होती है । मुंडन संस्कार पहले, तीसरे, पाँचवे या सातवे वर्ष में करना शुभ माना जाता है । जन्म मास या मल मास में इसका निषेध किया गया है तथा रविवार, मंगलवार व शनिवार इसके लिए अशुभ माने जाते है । मुंडन संस्कार के लिए अश्विनी, पुनर्वास, पुष्य, भृंगशिरा, ज्येष्ठा, रेवती, हस्त, चित्र, स्वाति, श्रवण, घनिष्ठा तथा शतमिषा नक्षत्रों को शुभ माना जाता है तथा सोमवार, बुधवार, गुरुवार तथा शुक्रवार शुभ वार माने जाते है ।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.