प्रत्येक ग्रह की अपनी विशेषताएँ होती है, वह कुंडली में किस भाव में बैठा है, किन ग्रहों के साथ उनका सम्बन्ध है, उसी के अनुसार उसका फल मिलता है । यदि हम व्यवसाय की दृष्टि से देखे तो मंगल से सम्बंधित व्यवसाय, कृषि, धातु, बिजली, अग्नि से सम्ब्नधित कार्य, बागवानी, मशीनी कलपुर्जे, औज़ार, भवन निर्माण, भूमि का व्यवसाय, चिकित्सा सम्बन्धी कार्य, सेना, पुलिस, न्यायपालिका, इंजीनियरिंग, बेकरी, मिठाई का व्यवसाय इत्यादि मंगल ग्रह के कार्यक्षेत्र में आते है ।
व्यवसाय के लिए धन भाव की स्थिति दशम भाव तथा दशमेश का किन ग्रहों से सम्बन्ध बन रहा है, यह भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । मंगल ग्रह साहस तथा पराक्रम के गुण वाला होता है, मंगल को अग्नि तत्व का कारक माना गया है, इसलिए यदि मंगल का सम्बन्ध सूर्य ग्रह से होता है तो व्यक्ति होटल का व्यवसाय, बिजली के उपकरण बनाना, कल पुर्जे का कारखाना खोलना इत्यादि का व्यवसाय अपनाता है । मंगल सूर्य के साथ किसी भी रूप में सम्बन्ध बनाकर रक्षा सम्बन्धी कार्य या राज्य सम्बन्धी कार्य करवाता है ।
कर्क लग्न में यदि मंगल का सम्बन्ध चंद्र या शुक्र से बने तो व्यक्ति को पैतृक सम्पति मिलती है तथा वह जमीन - जायदाद से पैसा कमाता है । इसी प्रकार मीन लग्न की कुंडली में मंगल पंचमेश होकर यदि शुभ प्रभाव में हो या शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो व्यक्ति शासकीय अधिकारी या मंत्री पद से युक्त होता है । मंगल भूमि तत्व का कारक होने से यदि मंगल का सम्बन्ध चौथे भाव से हो तो वह व्यक्ति प्रॉपर्टी का व्यवसाय करता है, वह अपना मकान किराये पर देकर उससे पैसा कमा सकता है ।