Dakshinavarti Shankh: शंख दिव्य और मायावी दोनों ही माने जाते हैं और हिन्दू धर्म में इसका विशेष पवित्र स्थान है। जैसे शिवलिंग और शालिग्राम के कई प्रकार होते हैं, वैसे ही शंख भी कई प्रकार के होते हैं, जिनका महत्व और उपयोग भिन्न-भिन्न होता है। श्रीहरि विष्णु के साथ-साथ विद्या की देवी सरस्वती भी शंख धारण करती हैं। शंख की ध्वनि से न केवल वास्तुदोष दूर होता है, बल्कि दरिद्रता का नाश होकर धन-समृद्धि में भी वृद्धि होती है। इसके अलावा, शंख की ध्वनि से नकारात्मक शक्तियाँ भी दूर होती हैं।
हमारे धार्मिक ग्रंथों में दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh) के कई चमत्कारिक वर्णन मिलते हैं। घर में दक्षिणावर्ती शंख रखना बहुत शुभ माना जाता है। आध्यात्मिक दृष्टि से भी इसका महत्व है और वास्तु के अनुसार भी माना जाता है कि इस शंख को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शंखों को उनके आकार के आधार पर 3 श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। दक्षिणावर्ती शंख का अर्थ है दाएं हाथ से पकड़ा जाने वाला, वामावर्ती का अर्थ है बाएं हाथ से पकड़ा जाने वाला और मध्यावर्ती का अर्थ है बीच में खुला मुंह वाला। इन तीनों में दक्षिणावर्ती शंख को सबसे दुर्लभ माना जाता है।
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शास्त्रों में दक्षिणावर्ती शंख (Dakshinavarti Shankh) को भगवान नारायण का प्रतीक माना गया है, क्योंकि यह देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का प्रिय शंख है। माता लक्ष्मी, माता दुर्गा और भगवान विष्णु के हाथों में सदैव दक्षिणावर्ती शंख सुशोभित रहता है। मान्यता है कि जहां दक्षिणावर्ती शंख होता है, वहां देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु और मां दुर्गा साक्षात उपस्थित रहते हैं।
समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में से शंख मां लक्ष्मी का भाई है। स्वर्ग में भी आठ सिद्धियों और नौ निधियों में शंख का महत्वपूर्ण स्थान है। धार्मिक क्रियाकलापों, अनुष्ठानों, साधनाओं, तांत्रिक अनुष्ठानों में शंख का उपयोग हमेशा से ही फलदायी माना गया है।
शंख को रखने की दिशा:- भगवान कुबेर की दिशा उत्तर मानी जाती है। यदि शंख को उत्तर दिशा में या पूजाघर के उत्तर में रखा जाए, तो इससे घर में धन की कभी कमी नहीं होती। इसके अलावा, शंख को उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में भी रखा जा सकता है। इस दिशा में शंख रखने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
घर में गणेश शंख, लक्ष्मी शंख या कामधेनु शंख रखने से सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इसे घर में स्थापित करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। दक्षिणावर्ती शंख से पितरों का तर्पण करने पर उनकी आत्मा की शांति होती है। इसे लक्ष्मीस्वरूप माना जाता है, और इसके बिना लक्ष्मीजी की पूजा अधूरी मानी जाती है।
शंख से न केवल वास्तुदोष दूर होता है, बल्कि यह आरोग्य वृद्धि, आयु, लक्ष्मी, संतान प्राप्ति, पितृ-दोष शांति, और विवाह में आ रही बाधाओं को भी समाप्त करता है। इसके अलावा, शंख के कई अन्य चमत्कारिक लाभ भी होते हैं।
यदि घर के मंदिर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित किया जाए तो घर में किसी भी प्रकार का जादू-टोना काम नहीं करता, घर पूरी तरह सुरक्षित रहता है।
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