August 22, 2024 Blog

Pradosh Vrat 2024: भादों में महादेव की पूजा विधि और लाभ

BY : STARZSPEAK

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) को महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन शाम के समय भगवान महादेव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। साथ ही भगवान को अर्पित किए जाने वाले भोग में प्रिय चीजों को भी शामिल करना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। अगर आप भी महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आइए जानते हैं कैसे पाएं भगवान का आशीर्वाद?

Pradosh Vrat 2024: सनातन धर्म में सभी तिथियां किसी न किसी देवता को समर्पित हैं। इसी तरह हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने की परंपरा है। इस दिन शनिवार होने से शनि प्रदोष व्रत रहेगा। मान्यता है कि इस दिन महादेव की पूजा के दौरान शिव स्तुति का पाठ करने से भक्त की किस्मत चमक सकती है और सुख-शांति प्राप्त हो सकती है। इसके अलावा जीवन खुशियों से भरपूर रहेगा। आइये पढ़ते हैं शिव स्तुति. 

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pradosh vrat
प्रदोष व्रत 2024 डेट और शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 31 अगस्त को सुबह 02:25 बजे से शुरू होगी. वहीं, इसका समापन अगले यानी 01 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 40 मिनट पर होगा. ऐसे में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) 31 अगस्त को मनाया जाएगा, क्योंकि त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने की परंपरा है.

।।शिव स्तुति मंत्र।।

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।

जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1।


महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।

विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2।


गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।

भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।3।


शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।

त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।4।


परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।

यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।5।


न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।

न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।6।


अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।

तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।7।


नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।

नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।8।


प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।

शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।9।


शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।

काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।10।


त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।

त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।11।


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