मंगला गौरी व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) विवाहित महिलाओं और अविवाहित लड़कियों द्वारा मनाया जाता है। मान्यता है कि व्रत रखने से पति को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। वहीं कुंवारी लड़कियों को उनकी पसंद का वर मिलता है। इस लेख में जानिए मंगला गौरी व्रत से जुड़ी जानकारी।

पंचांग के अनुसार चौथा मंगला गौरी व्रत 13 अगस्त को रखा जाएगा. चौथा मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) सावन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जा रहा है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 06 मिनट तक रहेगा. वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:59 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक है।
मंगला गौरी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर देवी-देवताओं का ध्यान करके दिन की शुरुआत करें। इसके बाद स्नान करें और सूर्य देव को जल चढ़ाएं। अब चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति रखें. अब सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें. देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जाप करें। मंगला गौरी (Mangla Gauri Vrat) कथा पढ़ें या सुनें। इसके बाद जीवन में सुख-शांति की प्रार्थना करें। अब फल, मिठाई, हलवा और खीर आदि का भोग लगाएं. अंत में प्रसाद को लोगों में बांट दें. इस दिन दान करना शुभ माना जाता है।
मंगला गौरी व्रत के दौरान खान-पान के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। ऐसा माना जाता है कि नियमों का पालन न करने से साधक शुभ फल पाने से वंचित रह जाता है। मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) के दौरान फल, दूध, दही, साबूदाने की खीर और साबूदाने की खिचड़ी का सेवन किया जा सकता है।
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Meera Joshi, a spiritual writer with 12+ years’ expertise, documents pooja vidhis and rituals, simplifying traditional ceremonies for modern readers to perform with faith, accuracy, and devotion.