June 18, 2024 Blog

Mahabharat: कुंती के वरदान से हुआ था पांडवों का जन्म, जानें उनके देवता

BY : Dr. Rahul Nair – Education Counselor & Spiritual Teacher

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Mahabharat: महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जो हमें सिखाता है कि व्यक्ति को अपने जीवन में कौन सी गलतियां करने से बचना चाहिए। महाभारत का भीषण युद्ध मुख्यतः कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में पांडवों ने धर्म की रक्षा के लिए युद्ध किया था। इस युद्ध में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों का साथ दिया था।

महाभारत (Mahabharat) में वर्णित 5 पांडव पांडु की संतान माने जाते हैं। कौरवों की उत्पत्ति के साथ-साथ पांडवों की उत्पत्ति के बारे में भी एक बहुत ही रोचक कहानी है। दरअसल, इन पांचों का जन्म कुंती को मिले वरदान के कारण हुआ था। इन पांचों देवताओं को पुत्र माना जाता है। तो आइए जानते हैं कौन सा पांडव किस भगवान की संतान है। 

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mahabharat
मिला था ये वरदान

एक बार ऋषि दुर्वासा कुंती की सेवा से बहुत प्रसन्न हुए। तब वह कुंती को एक मंत्र देते हैं और कहते हैं कि तुम इस मंत्र का जाप (Mahabharat) करके जिस भी देवता का आह्वान करोगी, तुम्हें उसी देवता से पुत्र प्राप्त होगा। बाद में, कुंती ने इस वरदान का उपयोग पुत्र प्राप्ति के लिए किया, क्योंकि पांडु को श्राप था कि यदि वह अपनी पत्नी को छूएगा, तो वह तुरंत मर जाएगा।

इस तरह अस्तित्व में आए पांडव

ऋषि दुर्वासा से प्राप्त वरदान की मदद से कुंती ने सबसे पहले धर्म के देवता यम का आह्वान किया, जिनसे उन्हें युधिष्ठिर मिले। इसी प्रकार भीमसेन वायु देवता के अंश थे। कुंती ने देवराज इंद्र से अर्जुन को प्राप्त किया था। कुंती ने पांडु (Mahabharat) की दूसरी पत्नी माद्री को भी संतान प्राप्ति का मंत्र दिया था। जिनकी मदद से उन्होंने दो अश्विनी कुमारों नासत्य और दस्त्र का आह्वान किया, जिन्होंने उन्हें नकुल और सहदेव पुत्र के रूप में दिए। इस प्रकार पांचों पांडवों का जन्म हुआ।

कैसे हुआ कर्ण का जन्म

हालाँकि कर्ण पांच पांडवों में शामिल नहीं थे। लेकिन वह कुंती का सबसे बड़ा पुत्र था। जब कुंती को ऋषि दुर्वासा से वरदान मिलता है, तो वह उनकी परीक्षा लेने के लिए सूर्य देव का आह्वान करती है। परिणामस्वरूप, सूर्य देव प्रकट हुए और उनसे कवच और कुंडल पहने कर्ण का जन्म हुआ। चूँकि कुंती को यह पुत्र विवाह (Mahabharat) से पहले हुआ था इसलिए लोक-लाज के डर से उन्होंने इस बालक को एक बक्से में रखकर नदी में बहा दिया, जो बाद में कर्ण के नाम से जाना गया। 

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Author: Dr. Rahul Nair – Education Counselor & Spiritual Teacher

Dr. Rahul Nair, with 15+ years in student counseling, integrates psychology and spirituality to guide learners toward aligned educational paths, personal growth, and meaningful success in life.