July 19, 2017 Blog

अक्षय तृतीया क्या है और क्यों मनाई जाती है

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

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लेखक: सोनू शर्मा'


वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया या आखा तीज कहते है, ऐसा माना जाता है की इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाए उनका फल शुभ होता है। यदि किसी शुभ कार्य  के लिए कोई मुहूर्त ना मिले तो इस दिन वह कार्य कर सकते है।


हिन्दुओं में इस पर्व का अपना अलग ही महत्व है, इस दिन घर का नया सामान खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसी धारणा है की इस दिन जो भी कार्य किया जाएगा उसका अक्षय फल मिलेगा अर्थात वह फल समाप्त नहीं होगा ।


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य एवं चन्द्रमा अपने परम उच्च अंशो में स्थित होता है जो शुभता को देने वाला होता है। अक्षय तृतीया के दिन विवाह योग शुभ माना जाता है, नए घर में प्रवेश करना, नया व्यापर प्रारम्भ करना, कोई भी नया प्रोजेक्ट शुरू करना, जमीन खरीदना, वाहन खरीदना इत्यादि कार्य करना शुभ माना जाता है।


इस दिन नए वस्त्र धारण किए जाते है और सोने की खरीदारी की जाती है, इस दिन दान देने का अपना अलग ही महत्व है। गन्ने के रस, दूध, दही, चावल, खरबूजे के लडू इत्यादि से बने पकवान देवी देवताओं को चढ़ाये जाते है, इस दिन सत्तू खाना शुभ माना जाता है।

जैन धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान ने प्रथम आहार ग्रहण किया था इसलिए जैन धर्मावलम्बी इस पर्व को गन्ने के रस का दान देकर मनाते है|

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ऐसी मान्यता है की अक्षय तृतीया के दिन युधिष्ठिर को “अक्षय पात्र” मिला था और इस पात्र में भोजन कभी भी ख़त्म नहीं होता था, जिससे युधिष्ठिर दरिद्र लोगों को भोजन देते है ।
अक्षय तृतीया पर लक्ष्‍मी पूजन का शुभ मुहूर्त: 
  • 26 अप्रैल  सुबह 5:45 मिनट से शुरू होकर 12:19 मिनट तक है

सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त

  • प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 07:23 से 12:19
  • अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 12:19 से 17:14
Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.