भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ निकाली जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, सालबेग भगवान जगन्नाथ का एक मुस्लिम भक्त था। मुस्लिम होने के कारण उन्हें भगवान जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Rath Yatra) में जाने और रथ यात्रा में भाग लेने की अनुमति नहीं थी। इच्छा के बावजूद वह मंदिर और रथयात्रा में शामिल नहीं हो सके. ऐसे में उनकी मौत हो गई.

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ निकाली जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, सालबेग भगवान जगन्नाथ का एक मुस्लिम भक्त था। मुस्लिम होने के कारण उन्हें भगवान जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Rath Yatra) में जाने और रथ यात्रा में भाग लेने की अनुमति नहीं थी। इच्छा के बावजूद भी वह मंदिर और रथयात्रा में शामिल नहीं हो सके. ऐसे में उनकी मौत हो गई.
उनकी मृत्यु के बाद जब जगन्नाथ का रथ निकाला गया तो वह उनकी समाधि पर रुका। लोगों ने बहुत प्रयास किया, लेकिन रथ मंदिर के सामने से नहीं हटा।
इसके बाद लोगों ने सालबेग की आत्मा की शांति के लिए भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना की. फिर रथ अपने आप चलने लगा। तब से, जब भी भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) शुरू होती है, रथ को कुछ समय के लिए मंदिर के सामने रोका जाता है। यह परंपरा आज भी निभाई जाती है।Dr. Rahul Nair, with 15+ years in student counseling, integrates psychology and spirituality to guide learners toward aligned educational paths, personal growth, and meaningful success in life.