हर वियक्ति का सपना होता है, वह उसके लिए प्रयास करता है तथा जो वह बनना चाहता है उसके अनुरूप शिक्षा का चयन करता है, परिश्रम करता है तथा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करता है । जो लोग चिकित्सक बनना चाहते है उन्हें शिक्षा के साथ साथ कुंडली में ऐसे योग भी होने चाहिए जो चिकित्सक बनने के लिए आवशयक है ।
आजकल चिकित्सा के व्यवसाय को आर्थिक लाभ के साथ साथ प्रतिष्ठा का सूचक मानते है । चिकित्सा के व्यवसाय में गुरु तथा चन्द्रमा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है क्योकि गुरु निरोगता देता है तथा चन्द्रमा औषधि का कारक होता है । लग्न हमारे शरीर का प्रतिनिधित्व करता है , वही छठा भाव रोग को दर्शाता है ।
- यदि कुंडली में राहु और केतु ग्रह बलिष्ठ हो तथा शुभ स्थान पर स्थित हो तो व्यक्ति चिकित्सक बनता है ।
- यदि लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम या दशम भाव में सूर्य , चन्द्रमा अथवा गुरु के साथ मंगल की युति हो तो व्यक्ति के डॉक्टर बनने की सम्भावना होती है ।
- मंगल स्वराशि का होकर लग्न में स्थित हो अथवा मंगल उच्च राशि का हो तथा सूर्य का सम्बन्ध पंचम भाव से हो तो ऐसा जातक अच्छा सर्जन हो सकता है । दशम भाव में यदि सूर्य और मंगल की युति हो तो जातक सर्जन हो सकता है ।
- यदि पंचम भाव और छटे भाव का सम्बन्ध हो तो व्यक्ति चिकित्सक हो सकता है ।
- वृषभ लग्न में पंचमेश बुध यदि अष्टम भाव में स्थित हो तथा शनि दशमेश होकर, गुरु पंचमेश को प्रभावित करे तो व्यक्ति चिकित्सा व्यवसाय से सम्बन्ध रखता है ।