यदि कोई व्यक्ति इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहता है तो पंचम भाव जो की बुद्धि का भाव है बलवान होना चाहिए तथा पंचमेश भी बलिष्ठ होना चाहिए । तकनीकी शिक्षा में योगदान रखने वाले ग्रह मंगल, शनि, राहु तथा केतु होते है तथा इन ग्रहों के बलिष्ठ होने के साथ - साथ इनकी दशा का भी होना जरुरी है । केतु ग्रह कंप्यूटर से सम्बन्ध रखता है तथा भाषा का कारक है इसलिए इसका शुभ होना आवशयक है –
- यदि जातक की कुंडली में चौथे भाव या पंचम भाव में राहु हो तो व्यक्ति का मन इंजीनियरिंग की तरफ़ होता है ।
- मंगल की चौथे भाव या चौथे भाव के स्वामी की मंगल पर दृष्टि हो या चौथे भाव के स्वामी के साथ मंगल युति करे तो ऐसा योग बनता है ।
- मंगल और बुध का राशि परिवर्तन योग अर्थात मंगल बुध की राशि में तथा बुध मंगल की राशि में स्थित हो तब भी जातक ये शिक्षा ग्रहण करता है ।
- यदि किसी जातक की कुंडली में शनि स्वराशि में या उच्च राशि में शुभ भाव में स्थित हो तो यह योग इंजीनियरिंग की शिक्षा में सफलता देता है ।
- मंगल, शनि और बुध का आपस में सम्बन्ध बने तो यह तकनीकी शिक्षा देता है ।
- शनि अगर चौथे भाव में स्थित होकर दशम भाव पर दृष्टि सम्बन्ध बनाए तो व्यक्ति की रूचि तकनीकी शिक्षा की ओर होती है ।
- यदि कुंडली में मंगल चतुर्थ भाव में हो या चतुर्थ भाव का स्वामी मंगल की राशि में हो तो व्यक्ति इंजीनियरिंग की पढ़ाई करता है ।