July 13, 2017 Blog

कौन सा नक्षत्र किस काम के लिए उपयुक्त होता है!

BY : Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Table of Content

लेखक: सोनू शर्मा

वायु मंडल में स्थित बारह राशियों के सत्ताईस नक्षत्र होते है, चन्द्रमा आकाश में अपनी कक्षा में भ्रमण करता हुआ २७.३ दिन में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करता है । जिन तारों के बीच में से चन्द्रमा गुजरता है उन्हें नक्षत्र कहते है, ये चंद्र नक्षत्र भी कहलाते है । जब भी किसी जातक की कुंडली का विश्लेषण करते है तो उसमे नक्षत्रों की बहुत बड़ी भूमिका होती है । इनमे कुछ नक्षत्र शुभ कुछ अशुभ, मध्यम, चर, व स्थिर नक्षत्र कहलाते है –

- शुभ नक्षत्र - रोहिणी, मृगराशि, स्वाति, मघा, उत्तरफाल्गुनी, हस्त, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपदा, तथा रेवती, ये नक्षत्र विवाह, खेती, गृह प्रवेश, वास्तु संग्रह आदि के लिए शुभ माने जाते है ।

- मध्यम नक्षत्र - आर्द्रा, ज्येष्ठा, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपदा, विशाखा और शतभिषक, ये नक्षत्र साधारण नक्षत्रों की श्रेणी में आते है, इसमें विशेष कार्य नहीं कर सकते ।

- अशुभ नक्षत्र - कृत्तिका, भरिणी और आश्लेषा उग्र नक्षत्र माने जाते है, ये उग्र काम जैसे बिल्डिंग गिरना, कही आग लगाना, विस्फोटक का परिक्षण करना आदि कार्यो के लिए उचित माना जाता है ।

- स्थिर नक्षत्र - रोहिणी, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र में मंदिर बनाना, मकान बनाना, गाँव खरीदना, बाग लगाना तथा राज्याभिषेक आदि के लिए शुभ समझे जाते है ।

- चर नक्षत्र - पुनर्वसू, श्रवण, घनिष्ठा, स्वाति,शतभिषक वाहन पर बैठने के लिए, विहार करने के लिए शुभ माने जाते है।

कोई भी कार्य करते समय यदि हम इन नक्षत्रों के शुभ व अशुभ व इनकी प्रकृति के अनुसार कार्य करे तो हमे उस कार्य का उचित फल प्राप्त होता है ।

Author: Dr. Sandeep Ahuja – Ayurvedic Practitioner & Wellness Writer

Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.