December 19, 2023 Blog

Makar Sankranti 2024: 14 या 15 जनवरी कब है मकर संक्रांति, यहां जानें सही तिथि

BY : STARZSPEAK

इस बार मकर संक्रांति को लेकर लोगों के मन में असमंजस की स्थिति है. ऐसा 14 जनवरी या 15 जनवरी को होगा. आइए जानते हैं साल 2024 में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) कब मनाई जाएगी.

Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। यह त्यौहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है। यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मकर संक्रांति का त्योहार 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस त्यौहार को देशभर में कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हालाँकि, अन्य हिंदू त्योहारों के विपरीत यह त्योहार चंद्रमा की विभिन्न स्थितियों के आधार पर मनाया जाता है।

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makar sankranti 2024

चंद्र कैलेंडर के बजाय सौर कैलेंडर के अनुसार गणना की जाती है।  इस दिन से दिन बड़े होने लगते हैं जबकि रातें छोटी होने लगती हैं, यह पर्व संक्रांति पर्व है। इस दिन जब दिन और रात बराबर हो जाते हैं तो वसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। इस बार मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) को लेकर लोगों के मन में असमंजस की स्थिति है. यह 14 जनवरी या 15 जनवरी को होगा। आइए जानते हैं साल 2024 में मकर संक्रांति कब मनाई जाएगी।

15 जनवरी को होगी संक्रांति, यह है वजह

ज्योतिषियों और पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) का त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य देव सुबह 02:54 बजे धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस अवसर पर शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा.

  • मकर संक्रांति पुण्यकाल - प्रातः 07:15 मिनट से सायं 06: 21 मिनट तक
  • मकर संक्रांति महा पुण्यकाल - प्रातः  07:15 मिनट से प्रातः 09: 06 मिनट तक
मकर संक्रांति की पूजा विधि

मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी. इस दिन भक्त पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। आइए जानते हैं मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) पर किस विधि से करें पूजा.

  • पूजा करने के लिए सबसे पहले उठकर साफ सफाई कर लें।
  • इसके बाद अगर संभव हो तो आसपास किसी पवित्र नदी में स्नान करें यदि ऐसा कर पाएं तो घर में ही गंगाजल मिलकर स्नान कर लें।
  • आचमन करके खुद को शुद्ध कर लें। 
  • इस दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, तो पीले वस्त्र धारण कर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • इसके बाद सूर्य चालीसा पढ़े और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। 
  • अंत में आरती करें और दान करें।
  • इस दिन दान करने का खास महत्व माना गया है।

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