December 8, 2023 Blog

Margashirsha Amavasya 2023: कब है मार्गशीर्ष अमावस्या? जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और इस दिन का महत्व

BY : STARZSPEAK

अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। धार्मिक मान्यता है कि यदि आप अमावस्या तिथि के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करते हैं तो आपको निश्चित फल की प्राप्ति होती है।

Margashirsha Amavasya 2023: सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, इस दिन पूजा, जप, तप और दान करने की परंपरा है। अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। धार्मिक मान्यता है कि अगर आप अमावस्या तिथि के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करेंगे तो आपको निश्चित फल मिलेगा। घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली भी आती है। आइए, मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त जानते हैं...

Margashirsha Amavasya 2023

शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि 12 दिसंबर को सुबह 06:24 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 13 दिसंबर को सुबह 05:01 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मानी जाती है, इसलिए मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya) 12 दिसंबर को है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर धृति योग बन रहा है। धृति योग शाम 06:52 बजे तक है. इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से अनंत फल मिलता है।

पूजा विधि

मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya) के दिन सुबह गंगा जल मिलाकर स्नान करें। यदि संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। इस समय सूर्य देव को जल अर्पित करें और तिल का भोग भी लगाएं। अपने हाथ में तिल रखें, इसे जलधारा में प्रवाहित करें, फिर पंचोपचार करें और भगवान विष्णु की पूजा करें, इस समय विष्णु चालीसा का पाठ करें। विष्णु स्तोत्र और मंत्रों का जाप करें, अंत में आरती करें और सुख, समृद्धि और धन की प्रार्थना करें। पूजा के बाद अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करें।

पितरों को खुश करने का दिन है अमावस्या

अमावस्या का दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए होता है, इस दिन सुबह पीपल के पेड़ को छूकर उसकी पूजा करें। (Margashirsha Amavasya) पूजा के लिए तांबे के लोटे में गंगाजल, दूध, काले तिल, शहद और घी मिलाएं, इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराने से परिवार की सुख-समृद्धि बढ़ती है।

उपाय

अमावस्या की रात को श्मशान या सुनसान जगह के पास से गुजरने से बचना चाहिए। इस दिन शाम के समय देवी-देवताओं और पितरों को प्रसन्न करने के लिए दो रोटी लें और अपने सिर से सात बार सरसों का तेल वार लें और फिर उस रोटी को काले कुत्ते को खिला दें। पीपल के पेड़ (Margashirsha Amavasya) के नीचे सरसों के बीज फैलाएं। तेल का दीपक जलाना चाहिए.

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