November 15, 2023 Blog

Vinayaka Chaturthi 2023: कार्तिक महीने में कब है विनायक चतुर्थी? जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

BY : STARZSPEAK

Vinayaka Chaturthi 2023: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 16 नवंबर को दोपहर 12.34 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 17 नवंबर को सुबह 11.03 बजे समाप्त होगी। इस दिन सूर्य देव अपनी राशि बदलने जा रहे हैं। 17 नवंबर को सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। अत: वृश्चिक संक्रांति 17 नवंबर को है।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 16 नवंबर को दोपहर 12.34 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 17 नवंबर को सुबह 11.03 बजे समाप्त होगी। इस दिन सूर्य देव अपनी राशि बदलने जा रहे हैं। 17 नवंबर को सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। अत: वृश्चिक संक्रांति - Vinayaka Chaturthi 2023 17 नवंबर को है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सुख-समृद्धि, आय और आयु में भी वृद्धि होती है। इसलिए भक्त श्रद्धापूर्वक भगवान गणेश की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं शुभ समय, तिथि और पूजा विधि।

Vinayaka Chaturthi 2023
शुभ मुहूर्त / Vinayaka Chaturthi 2023

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 16 नवंबर को दोपहर 12.34 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 17 नवंबर को सुबह 11.03 बजे समाप्त होगी। इस दिन सूर्य देव अपनी राशि बदलने जा रहे हैं। 17 नवंबर को सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। अत: वृश्चिक संक्रांति 17 नवंबर को है।

पूजा विधि / Vinayaka Chaturthi 2023

विनायक चतुर्थी के दिन सुबह ब्रह्म बेला यानी सूर्योदय के समय उठें। - अब दिन की शुरुआत भगवान गणेश को प्रणाम करके करें. घर की सफाई करे। साथ ही घर को गंगा जल छिड़क कर शुद्ध करें। अपने दैनिक कार्य समाप्त करने के बाद गंगाजल युक्त जल से स्नान करें। शास्त्रों में निहित है कि पूजा से पहले आचमन अनिवार्य है। इसलिए ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पीले वस्त्र पहनें और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करें। इस समय पंचोपचार करें और भगवान गणेश को फल, फूल, धूप, दीप आदि चढ़ाएं। पूजा के दौरान गणेश चालीसा का पाठ करें और मंत्रों का जाप करें। अंत में आरती करें और सुख-समृद्धि और धन-संपत्ति में वृद्धि की प्रार्थना करें। पूरे दिन व्रत रखें. शाम को आरती करें और फलों का भोग लगाएं। अगले दिन पूजा संपन्न करके व्रत खोलें।