महालया 14 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. इसी दिन पितृ पक्ष भी समाप्त हो रहा है. उसके बाद महानवमी का व्रत शुरू हो जाएगा.
(Significance of mahalaya) हिंदू कैलेंडर के अनुसार, 15 अक्टूबर से दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाएगा. इस समय जो लोग सप्तशती का पाठ करते हैं उन्हें कलश स्थापना से एक दिन पहले खुद को शुद्ध करने की तैयारी कर लेनी चाहिए, ताकि पूजा के दौरान उन्हें किसी भी तरह की कठिनाइयों का सामना न करना पड़े. . अब इसके पीछे की कहानी और महालया कब शुरू हो रहा है, इस दिन मंत्रों का जाप करना भी शुभ माना जाता है, इसके बारे में भी जानना चाहिए.
महाल्या के दिन खुद को शुद्ध करना जरूरी माना जाता है। इस दिन कोलश स्थापित करके महानवमी व्रत का आरंभ करना चाहिए। इसके बाद पूरे विधि-विधान से मां भगवती की पूजा करें।
महाल्या के दिन पूजा करने करे दौरान इन मंत्रों का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
महाल्या के दिन तर्पण करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। पश्चिम बंगाल में महाल्या का विशेष महत्व है.
महाल्या के दिन खुद को शुद्ध करना बहुत जरूरी है। इस आर्टिकल को विस्तार से पढ़ें और अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो इसे आगे शेयर करें। ऐसी और भी कहानियों से जुड़े रहने, हर जिंदगी से सीखने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।