हिंदू शास्त्रों के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में शांति बनी रहती है। घर की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस दिन गणपति की पूजा करने से यश, धन, वैभव और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इसकी तारीख और समय के बारे में...
संकष्टी चतुर्थी का व्रत नियमानुसार ही करना चाहिए, तभी इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है। नारद पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी पर पूरे दिन व्रत रखना चाहिए। इस दिन सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। फिर भगवान गणेश की मोदक, दूब, लड्डू, फूल आदि चढ़ाकर विधिवत पूजा करनी चाहिए। पूजा शाम को चंद्रोदय के बाद करनी चाहिए। इस समय गणेश जी के साथ-साथ दुर्गा जी की फोटो या मूर्ति भी रखनी चाहिए, इस दिन दुर्गा जी की पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। सूर्योदय के बाद शुरू होने वाला संकष्टी व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है। साथ ही इस दिन चंद्रमा की पूजा करें और उन्हें जल, फूल, चंदन, चावल आदि से अर्घ्य दें। साथ ही शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा सुनें, इसके बाद आरती करें और सभी व्रत करने वालों को प्रसाद वितरित करें।
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