September 5, 2023 Blog

Jivitputrika Vrat 2023 | जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत कब है? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

BY : STARZSPEAK

Jivitputrika Vrat 2023: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे देश में उत्सवी माहौल के साथ मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत रखते हैं और रात 12 बजे कान्हा के जन्म के बाद व्रत खोलते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है। प्राचीन मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्रीकृष्ण सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी करते हैं। साथ ही विशेषकर महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना से यह व्रत रखती हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान गोपाल को प्रसन्न करने के उद्देश्य से लड्डू और अन्य प्रकार के पकवान बनाकर उन्हें झूले में झुलाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं साल 2023 में कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख कब होगी-

जितिया व्रत कब मनाया जाता है?

Jivitputrika Vrat -  24 घंटे का निर्जला व्रत है, जो आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शुरू होता है और नवमी तिथि को समाप्त होता है। इस बार यह व्रत 6 अक्टूबर 2023, शुक्रवार को पड़ रहा है। व्रत से एक दिन पहले तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

निर्जला व्रत रखती हैं महिलाएं
जितिया व्रत - Jivitputrika Vrat का उद्देश्य बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि प्राप्त करना है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं पानी की एक बूंद भी नहीं पीती हैं।

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Jivitputrika Vrat
पूजन विधि

जितिया जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत - Jivitputrika Vrat के नाम से जाना जाता है उस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और अपने साफ कपड़े पहनें। इसके बाद व्रत रखने वाली महिलाओं को प्रदोष काल में पूजा स्थल को भी गाय के गोबर से साफ करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में छोटा तालाब बनाकर भी पूजा का आयोजन किया जाता है।

पारण

निर्जला व्रत के बाद तीसरे दिन सुबह की पूजा समाप्त होने के बाद जितिया व्रत का पारण किया जाता है। इस समय सूर्य देव को अर्घ्य देकर यह पारण किया जाता है।

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