September 20, 2023 Blog

Raksha Sutra: हल्के में न लें हाथ के कलावा को...बांधने-उतारने के भी हैं नियम

BY : STARZSPEAK

सनातन धर्म में कलावे को बहुत पवित्र और पूजनीय माना जाता है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या शुभ कार्य में कलावा अवश्य बांधा जाता है। यज्ञ अनुष्ठान और पूजा के बाद विद्वान या पंडित हाथों पर कलावा बांधते हैं। जिसे रक्षा सूत्र - Raksha Sutra के नाम से भी जाना जाता है, तो आइए आज इस रिपोर्ट में जानते हैं रक्षा सूत्र से जुड़े कुछ नियम। जिनका ध्यान रखने से व्यक्ति कई तरह की समस्याओं से राहत पा सकता है।

हिंदू धर्म में रक्षा सूत्र को बहुत पूजनीय माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि रक्षा सूत्र बांधने से व्यक्ति की हर तरह से रक्षा होती है। इतना ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी इसका अपना महत्व है। कहा जाता है कि रक्षा सूत्र - Raksha Sutra बांधने से कई तरह की बीमारियां दूर हो जाती हैं।

यह भी पढ़ें - Pitru Paksha 2023: कब से हो रही है पितृपक्ष की शुरुआत? जानें तर्पण विधि और श्राद्ध पक्ष की तिथियां 

Raksha Sutra
रक्षा सूत्र का धार्मिक महत्व

कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य या पूजा एक यज्ञ अनुष्ठान है। तो उसके बाद मंत्रोच्चार के साथ व्यक्ति के हाथों पर रक्षा सूत्र बांधा जाता है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि रक्षा सूत्र बांधने से हर तरह से सुरक्षा मिलती है। शायद यही कारण है कि रक्षा सूत्र - Raksha Sutra का पूजा-पाठ में बहुत महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।

कलावा बांधने का नियम

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार रक्षा सूत्र बांधते समय हाथ में एक सिक्का लेना चाहिए और मुट्ठी बंद करके दूसरे हाथ को सिर पर रखना चाहिए, फिर हाथ में रखा सिक्का पुरोहित और पंडित को दक्षिणा के रूप में दे देना चाहिए। रक्षा सूत्र बांधा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रक्षा - Raksha Sutra सूत्र हमेशा दाहिने हाथ पर ही बांधना चाहिए।

किस दिन उतरना चाहिए रक्षा सूत्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रक्षा सूत्र का पाठ करने के लिए केवल मंगलवार और शनिवार का दिन ही शुभ माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि हाथ में पुराना रक्षा सूत्र - Raksha Sutra खोलकर दूसरा कलावा मंदिर में बांध लेना चाहिए। पुराना कलावा किसी पवित्र नदी या पीपल के पेड़ के नीचे रखना चाहिए। इसे इधर-उधर फेंकने से बचना चाहिए।

यह भी पढ़ें - Ganesh Puja: भगवान गणेश के पूजन में इसलिए नहीं शामिल होती हैं तुलसी की पत्तियां, जानें पूरी व्रत कथा