August 3, 2023 Blog

Krishna Chalisa: कृष्ण जन्माष्टमी पर अद्वितीय प्रार्थना

BY : STARZSPEAK

कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्री कृष्ण के अवतार दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसका महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक है। इस पवित्र दिन पर, हम श्री कृष्ण के अद्भुत लीला और उपदेशों का स्मरण करते हैं और उनकी प्रार्थनाएँ करते हैं। श्री कृष्ण चालीसा, एक प्रमुख प्रार्थना पाठ है, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी पर करने से हमें सफलता और सुख की प्राप्ति होती है। इस लेख में, हम आपको श्री कृष्ण चालीसा - Krishna Chalisa के महत्वपूर्ण अंशों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

कृष्णा चालीसा / Krishna Chalisa

॥ दोहा ॥

बंशी शोभित कर मधुर,नील जलद तन श्याम।
अरुण अधर जनु बिम्बा फल,पिताम्बर शुभ साज॥
 
जय मनमोहन मदन छवि,कृष्णचन्द्र महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज॥
 
॥ चौपाई ॥ 

जय यदुनंदन जय जगवंदन।जय वसुदेव देवकी नन्दन॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे। जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
 
जय नटनागर, नाग नथइया॥ कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो। आओ दीनन कष्ट निवारो॥
 
वंशी मधुर अधर धरि टेरौ। होवे पूर्ण विनय यह मेरौ॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो। आज लाज भारत की राखो॥
 
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे। मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥
राजित राजिव नयन विशाला। मोर मुकुट वैजन्तीमाला॥
 
कुंडल श्रवण, पीत पट आछे। कटि किंकिणी काछनी काछे॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे। छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥
 
मस्तक तिलक, अलक घुँघराले। आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥
करि पय पान, पूतनहि तार्यो। अका बका कागासुर मार्यो॥
 
मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला। भै शीतल लखतहिं नंदलाला॥
सुरपति जब ब्रज चढ़्यो रिसाई। मूसर धार वारि वर्षाई॥
 
लगत लगत व्रज चहन बहायो। गोवर्धन नख धारि बचायो॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई। मुख मंह चौदह भुवन दिखाई॥
 
दुष्ट कंस अति उधम मचायो॥ कोटि कमल जब फूल मंगायो॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें। चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें॥
 
करि गोपिन संग रास विलासा। सबकी पूरण करी अभिलाषा॥
केतिक महा असुर संहार्यो। कंसहि केस पकड़ि दै मार्यो॥
 
मातपिता की बन्दि छुड़ाई ।उग्रसेन कहँ राज दिलाई॥
महि से मृतक छहों सुत लायो। मातु देवकी शोक मिटायो॥
 
भौमासुर मुर दैत्य संहारी। लाये षट दश सहसकुमारी॥
दै भीमहिं तृण चीर सहारा। जरासिंधु राक्षस कहँ मारा॥
 
असुर बकासुर आदिक मार्यो। भक्तन के तब कष्ट निवार्यो॥
दीन सुदामा के दुःख टार्यो। तंदुल तीन मूंठ मुख डार्यो॥


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Krishna Chalisa

प्रेम के साग विदुर घर माँगे।दर्योधन के मेवा त्यागे॥
लखी प्रेम की महिमा भारी।ऐसे श्याम दीन हितकारी॥
 
भारत के पारथ रथ हाँके।लिये चक्र कर नहिं बल थाके॥
निज गीता के ज्ञान सुनाए।भक्तन हृदय सुधा वर्षाए॥
 
मीरा थी ऐसी मतवाली।विष पी गई बजाकर ताली॥
राना भेजा साँप पिटारी।शालीग्राम बने बनवारी॥
 
निज माया तुम विधिहिं दिखायो।उर ते संशय सकल मिटायो॥
तब शत निन्दा करि तत्काला।जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥
 
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।दीनानाथ लाज अब जाई॥
तुरतहि वसन बने नंदलाला।बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥
 
अस अनाथ के नाथ कन्हइया। डूबत भंवर बचावइ नइया॥
सुन्दरदास आ उर धारी।दया दृष्टि कीजै बनवारी॥
 
नाथ सकल मम कुमति निवारो।क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै।बोलो कृष्ण कन्हइया की जै॥
 
॥दोहा॥

यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि॥

 ।। कृष्णा चालीसा।।
।। Krishna Chalisa।। 
 
श्री कृष्ण चालीसा का महत्व

श्री कृष्ण चालीसा - Krishna Chalisa, एक अद्वितीय प्रार्थना पाठ है जो भगवान कृष्ण के गुणों, लीलाओं, और उपदेशों की महिमा का वर्णन करता है। इस प्रार्थना पाठ का पाठ करने से हम अपने मन को श्री कृष्ण के प्रति भक्ति और समर्पण से भर देते हैं और उनके आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

श्री कृष्ण चालीसा के फायदे
  • आत्म-शुद्धि और स्पष्टता: श्री कृष्ण चालीसा - Krishna Chalisa के पाठ से हमारा मन और आत्मा शुद्ध होते हैं और स्पष्टता की प्राप्ति होती है।
  • सफलता की प्राप्ति: इस प्रार्थना पाठ का पाठ करने से हमें अपने कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में उच्च स्तर की प्राप्ति होती है।
  • आंतरिक शांति: श्री कृष्ण चालीसा के पाठ से हमारी मानसिक शांति बढ़ती है और हम अपने आंतरिक चिंतन में निमग्न होते हैं।
  • भक्ति और समर्पण: यह प्रार्थना पाठ हमें भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण का आदान-प्रदान करता है।
कैसे करें श्री कृष्ण चालीसा का पाठ
  1. श्री कृष्ण चालीसा - Krishna Chalisa का पाठ सुबह-सुबह प्रात: काल में करने से आपका दिन शुभ रहता है।
  2. ध्यानपूर्वक बैठकर, श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र की ओर दृष्टि दें और मन से पाठ करें।
  3. पाठ के पश्चात्, आरती या कीर्तन करें और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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