नमस्ते करना एक संस्कार ही नहीं बल्कि है कई बीमारियों का इलाज, जानिये कैसे
BY : STARZSPEAK
भारतीयों में नमस्कार करना एक प्राचीन संस्कृति है। लेकिन क्या आप जानते हैं इससे ना सिर्फ वैज्ञानिक बल्कि आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ भी है। चलिए जानते हैं नमस्ते की संस्कृति, उत्पत्ति और इसके अलग-अलग लाभों के बारे में।
नमस्ते का अर्थ -
नमस्ते का सामान्य अर्थ है पारंपरिक अभिवादन। योग में, इस शब्द के साथ जुड़ी हुई हैं कई मुद्राएं। नमस्ते करने के दौरान सपाट हाथों के साथ हथेलियों को हृदय के सामने और ऊपर की ओर एक छोटा धनुष की तरह एक साथ रखा जाता है। नमस्ते का विस्मयादिबोधक अर्थ है कि सचमुच मैं विनम्रतापूर्वक आपको नमन करता हूं। नमस्ते को सभी की समानता के अभिवादन या अभिवादन के रूप में उपयोग किया जाता है और यह सभी की पवित्रता का सम्मान करता है। नमस्ते भारतीयों के संस्कार में हैं पुराणों में भी नमस्ते का बहुत महत्व है और ये बड़ों के आदर, अतिथियों के आदर और सभी मनुष्य जाति के सम्मान के लिए इस्तेमाल होता है।
नमस्कार शब्द की उत्पत्ति और उसका अर्थ -
‘नमस्कार’ शब्द की उत्पत्ति ‘नमः’ से हुई है, जिसका अर्थ है श्रद्धा या प्रणाम करना। नमस्ते संस्कृत में दो शब्दों से बना है नमः + अस्ते। नमः यानि झुक गया और अस्ते यानि अहंकार भरा सिर। इसका संपूर्ण अर्थ है अहंकार से भरा सिर का झुकना। न्याय विज्ञान से – ‘नामा’ एक शारीरिक क्रिया है जो यह व्यक्त करती है कि आप मुझसे सभी गुणों में और हर तरह से श्रेष्ठ है। किसी को नमस्कार करने का मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिक और साथ ही सांसारिक लाभों को प्राप्त करना है। किसी देवता या संत को नमस्कार करने से, अनजाने में उनके गुण और क्षमताएं हमारे मन पर छा जाती हैं। नतीजतन, हम उनका अनुकरण करना शुरू कर देते हैं, इस प्रकार खुद को बेहतर के लिए बदल लेते हैं।
दुनियाभर में नमस्ते की प्रथा -
नमस्ते देवनागरी का शब्द है, जिसे कभी-कभी नमस्कार और नमस्कारम कहा जाता है, ये एक प्रथागत हिंदू अभिवादन है। समकालीन युग में, यह भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण पूर्व एशिया और दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों के बीच किया जाता है। नमस्ते व्यापक रूप से दक्षिण पूर्व एशिया के उन हिस्सों में उपयोग किया जाता है जहां भारतीय धर्म यानि हिंदु धर्म मजबूत है। इसका उपयोग अभिवादन और छुट्टी लेने दोनों के लिए किया जाता है। नमस्ते को अंजलि मुद्रा भी कहा जाता है। योग में खड़े होने वाले आसन में यह प्राणायाम है। हिंदू धर्म में, इसका अर्थ है "मैं आप में परमात्मा को नमन करता हूं"। नमस्ते इशारे के बिना बोला जा सकता है, या इशारे को बिना शब्दों के किया जा सकता है।
भारतीय उपमहाद्वीप में और जापान में भी हिंदुओं और बौद्धों से उत्पन्न एक सामान्य बोली जाने वाली मान्यता या सलामी है। यह एक प्रथागत अभिवादन है जब व्यक्ति मिलते हैं और उनके विभाजन पर एक मान्यता है। भारत और नेपाल में पारंपरिक रूप से प्रणाम का गैर संपर्क रूप पसंद किया जाता है।
नमस्कार के आध्यात्मिक लाभ -
- विनम्रता में वृद्धि और अहंकार में कमी - नमस्कार करते समय जब कोई सोचता है कि आप मुझसे श्रेष्ठ हैं, मैं अधीनस्थ हूं। मुझे कुछ भी पता नहीं है, आप सर्वज्ञ हैं, तभी यह अहंकार को कम करने और विनम्रता को बढ़ाने में मदद करता है।
- आत्मसमर्पण और कृतज्ञता की आध्यात्मिक भावना में वृद्धि - नमस्कार करते समय जब ‘मुझे कुछ नहीं पता ’जैसे विचार आते हैं, तो आप अकेले ही सब कुछ कर लेते हैं’, 'मुझे अपने पवित्र चरणों में एक स्थान प्रदान करें’, तभी यह आत्मसमर्पण और कृतज्ञता की आध्यात्मिक भावना को बढ़ाने में मदद करता है।
नमस्कार के शारीरिक लाभ -
मानसिक तनाव और चिंता - अंजलि मुद्रा यानि नमस्कार को कई लाभों को प्राप्त करने के उद्देश्य से एक शारीरिक योग अभ्यास के भाग के रूप में किया जाता है। यह एक "सेंटरिंग पोज" है, जो चिकित्सकों के अनुसार, मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है और इसलिए इसका उपयोग चिकित्सका को ध्यान केंद्रित करने और ध्यान की स्थिति में आने में मदद करने के लिए किया जाता है।
शारीरिक लचीलापन - नमस्कार से शारीरिक निष्पादन से हाथों, कलाई, उंगलियों और भुजाओं में लचीलेपन को बढ़ावा मिलता है।
स्नेह भाव - ऐसा माना जाता है कि नमस्कार की मुद्रा से दूसरे वाले के प्रति स्नेह भाव बढ़ता है। नमस्कार को प्यार और स्ने्ह का प्रतीक भी माना जाता है।
ब्ल्ड सर्कुलेशन में होता है सुधार- नमस्कार की मुद्रा में शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे न सिर्फ ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है बल्कि शरीर में पॉजिटिविटी भी आती है।
नमस्कार करता है दिल मजबूत- ये तो सभी जानते हैं शरीर के हर अंग के सेल्स दिमाग से जुड़े होते हैं। जब हम हाथ जोड़ते हैं तो हृदय च्रक एक्टिव होने लगता है और हृदय के सेल्स एक्टिव हो जाते हैं। इससे दिल मजबूत और स्वस्थ रहता है। इससे आपके मन के डर भी खत्म होते हैं।
एक्यूप्रेशर में कारगर नमस्कार- जब दोनों हथेलियों की अंगुलियों के शीर्ष एक-दूसरे से जुड़ते हैं तो हाथों का प्रेशर बढ़ने लगता है। एक्यूप्रेशर के कई लाभ है, इससे दिमाग पर, आंखों पर और कानों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर लंबे समय तक लोगों को एक्टिव रहने में मदद करता है।
गुस्सा होता है कम- इससे आपमें विनम्र स्वभाव बढ़ता है। आपमें दैवीय सेवाभाव जगता है। हाथ जोड़ने के बाद आपका गुस्सा खुद ही कम होने लगता है। आप आराम से बोलते हैं और अपनी बात को प्यार से कहने लगते हैं।
मूड को करता है तरोताजा- नमस्कार आपको खुशी का अहसास करवाता है जिससे आप तनाव से दूर होते हैं और आपका मूड भी खुशमिजाज रहता है।
कोरोना वायरस से बचाव- इस समय कोरोना महामारी से बचने के लिए लोगों को हाथ मिलाने के बजाय नमस्कार करने की सलाह दी जा रही है। जिससे आप कोरोना जैसे वायरस के संपर्क में आने से बचे। सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में भारत की इस परंपरा को फॉलो किया जा रहा है। नमस्कार से आप दूसरों में होने वाली बीमारी से आसानी से बच सकते हैं।