October 8, 2018 Blog

दुर्गा अष्टमी की पूजा क्यों करवानी चाहिए।

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Table of Content

By: Deepika Dwivedi

नवरात्रें क्यों मनाए जाते है और कैसे मनाए जाते है यह लगभग सभी लोग जानते है। लेकिन नवरात्रा का आठवां दिन जिसे दुर्गाष्टमी कहा जाता है। इस दिन की अलग ही महत्ता होती है। तो चलिए हम आपकों बताते है कि दुर्गा अष्टमी की पूजा करना सबसे ज्यादा आवश्यक क्यो है और अष्टमी की ख़ास पूजा करने से क्या फल की प्राप्ति होती है।


नवरात्रे के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की महागौरी की पूजा की जाती है। पुराणो के अनुसार महागौरी आदि शक्ति है इनके तेज से सम्पूर्ण बह्मांड और सृष्टि प्रकाश-मान है। इनकी शक्ति अमोघ फलदायिनी है। महागौरी की चार भुजाएं है और उनकी दांयी भुजा अभय मुद्रा में हैं औरा नीचे वाली भुजा में त्रिशुल सुशोभित है। बांयी भुजा में डमरू पकड़े हुए है और नीचे वाली भुजा से देवी गौरी भक्तों की प्रार्थना सुनकर वरदान देती है। ग्रन्थों और पुराणों के अनुसार अष्टमी पूजन से तमाम दुख दूर होते हैं। और सुख-सृमद्धि की भी प्राप्ति होती है।

और इन देवी का इस मंत्र द्वारा आह्वान किया जाता है।

 या देवी सर्वभूतेषू मां गौरी रूपेण संस्थिता।

 नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

महागौरी देवी की पुराणों के अनुसार कई कथाएं है। जिसमें एक कथा यह प्रचलित है कि महागौरी ने ही भगवान शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। तपस्या की वजह से महागौरी देवी का पूरा शरीर काला पड़ गया था, लेकिन भगवान शिव ने प्रसन्न होकर महागौरी को स्वीकार किया और उन्हें गौरा रंग प्रदान किया। तभी से मां दुर्गा का नाम महागौरी पड़ गया था।


और दूसरी कथा कुछ इस प्रकार भी प्रचलित है कि शुंभ-निशुम्भ दानवों से पराजित होकर सभी देवता गण गंगा के तट पर जिस देवी की प्रार्थना कर रहे थे वह महागौरी हैं, और देवी गौरी के अंश से ही कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुम्भ-निशुम्भ के प्रकोप से देवताओं को आजाद करवाया। यही गौरी भगवान शिव की अर्धांगिनी है, जो शिवा और शाम्भवी के नाम से भी पूजी जाती है।


माना जाता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी, मां गौरी श्वेत वर्ण की है और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है। विवाह सम्बन्धी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है। ज्योतिष में इनका सम्बन्ध शुक्र नामक ग्रह से माना जाता है।

महागौरी देवी की पूजा विधि-

इस दिन भक्त को पीले वस्त्र धारण करना चाहिए, उसके बाद ही पूजा की शुरूआत करें। महागौरी मां के सम्मुख दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें।

पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पण करना चाहिए। उसके बाद इनके मन्त्रों का जाप करना चाहिए। या अगर इन देवी की पूजा मध्य रात्रि में करें तो जातक को परिणाम काफी शुभ प्राप्त होते है। महागौरी देवी की पूजा करने से शुक्र ग्रह की स्थिति भी मजबूत होती है।

नवरात्रि की अष्टमी पर कन्याओं को भोजन करवाना चाहिए इससे महागौरी बेहद ही प्रसन्न होती है।

धन प्राप्ति के लिए करें उपाय-

महागौरी को दूध की कटोरी में रखकर चांदी का सिक्का अर्पित करें। इसके बाद मां गौरी से धन के बने रहने की प्रार्थना करें। सिक्के को धोकर सदैव के लिए अपने पास रख लें। इससे आपके ऊपर आने वाली धनबाधा दूर हो जाएगी। साथ ही आपके धन-सम्पदा में दिन-दौगुनी रात-चौगुनी वृद्धि होगी।

Book Navratri Puja Online 

Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.