September 17, 2018 Blog

आज के दिन ये पूजा है सारे बिजनेसमैन के लिए ख़ास. इस पूजा से बिज़नेस मे होती है तेजी से वृद्धि|

BY : STARZSPEAK

By: Starzspeak Admin


नई दिल्ली: भारत त्योहारों का देश माना जाता है और इस वजह से देशभर में हर साल कई त्योहार मनाए जाते हैं. इन्हीं त्योहारों में से एक विश्वकर्मा पूजा है. हर साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को ही मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि विश्वकर्मा देवता का जन्म इसी दिन हुआ था. बता दें, विश्वकर्मा को देवताओं के वास्तुकार के रूप में पूजा जाता है. माना जाता है कि उन्होंने देवताओं के लिए महलों, हथियारों और भवनों का निर्माण किया था. विश्वकर्मा पूजा के मौके पर ज्यादातर दफ्तरों की छुट्टी होती है और कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है. इस खास मौके पर औजारों, मशीनों और दुकानों की पूजा की जाती है. 


क्या है विश्वकर्मा पूजा का महत्व
भगवान विश्‍वकर्मा के जन्‍मदिन को विश्‍वकर्मा पूजा, विश्‍वकर्मा दिवस या विश्‍वकर्मा जयंती के नाम से जाना जाता है. इस पर्व का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान विश्‍वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें धर्मपुत्र के रूप में जन्‍म लिया था. विश्‍वकर्मा को 'देवताओं का शिल्‍पकार', 'वास्‍तुशास्‍त्र का देवता', 'प्रथम इंजीनियर', 'देवताओं का इंजीनियर' और 'मशीन का देवता' कहा जाता है. विष्‍णु पुराण में विश्‍वकर्मा को 'देव बढ़ई' कहा गया है. यही वजह है कि हिन्‍दू समाज में विश्‍वकर्मा पूजा का विशेष महत्‍व है.

कौन हैं विश्वकर्मा भगवान
भगवान विश्‍वकर्मा को निर्माण का देवता के रूप में जाना जाता है. माना जाता है कि उन्‍होंने देवताओं के लिए अनेकों भव्‍य महलों, आलीशान भवनों, हथियारों और सिंघासनों का निर्माण किया था. मान्‍यता है कि एक बार असुरों से परेशान देवताओं की गुहार पर विश्‍वकर्मा ने महर्षि दधीची की हड्डियों देवताओं से राजा इंद्र के लिए वज्र भी बनाया था. इस वज्र के प्रभाव से ही असुरों का सर्वनाश हुआ था. इसी वजह से सभी देवताओं में भगवान विश्‍वकर्मा का विशेष स्‍थान है. विश्‍वकर्मा ने एक से बढ़कर एक भवन का निर्माण किया था. ऐसी भी मान्यता है कि उन्‍होंने रावण की लंका, कृष्‍ण नगरी द्वारिका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्‍थ नगरी और हस्तिनापुर का निर्माण किया था. कहा जाता है कि उन्‍होंने उड़ीसा स्थित जगन्नाथ मंदिर के लिए भगवान जगन्नाथ सहित, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण अपने हाथों से किया था. 

किस तरह मनाई जाती है विश्वकर्मा जयंती
विश्‍वकर्मा दिवस घरों के अलावा दफ्तरों और कारखानों में विशेष रूप से मनाया जाता है. जो लोग इंजीनियरिंग, आर्किटेक्‍चर, चित्रकारी, वेल्डिंग और मशीनों के काम से जुड़े हुए हैं. वो खासतौर से इस दिन को बड़े उत्‍साह के साथ मनाते हैं. इस दिन मशीनों, दफ्तरों और कारखानों की सफाई की जाती है. साथ ही विश्‍वकर्मा की मूर्तियों को सजाया जाता है. घरों में लोग अपनी गाड़ियों, कंम्‍प्‍यूटर, लैपटॉप और अन्‍य मशीनों की पूजा करते हैं. मंदिर में विश्‍वकर्मा भगवान की मूर्ति या फोटो की विधिवत पूजा करने के बाद आरती की जाती है. अंत में प्रसाद वितरण किया जाता है. 

विश्‍वकर्मा पूजा विधि 
- सबसे पहले अपनी गाड़ी, मोटर या दुकान की मशीनों को साफ कर लें. 
- उसके बाद स्‍नान करें. 
- घर के मंदिर में बैठकर विष्‍णु का ध्‍यान करें और पुष्‍प चढाएं. 
- एक कमंडल में पानी लेकर उसमें पुष्‍प डालें. 
- अब भगवान विश्‍वकर्मा का ध्‍यान करें. 
- अब जमीन पर आठ पंखुड़ियों वाला कमल बनाएं. 
- उस स्‍थान पर सात प्रकार के अनाज रखें. 
- अनाज पर तांबे या मिट्टी के बर्तन में रखे पानी का छिड़काव करें. 
- चावल पात्र को समर्पित करते हुए वरुण देव का ध्‍यान करें. 
- अब सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी और दक्षिणा को कलश में डालकर उसे कपड़े से ढक दें. 
- भगवान विश्‍वकर्मा को फूल चढ़ाकर आशीर्वाद लें.
- अंत में भगवान विश्‍वकर्मा की आरती उतारें.