By: Deepika
वैसे तो प्रत्येक महीने शिवरात्रि आती है और पूजा की जाती है , लेकिन साल की 2 दो शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। पहली फाल्गुन माह की महाशिवरात्रि और दूसरी सावन की शिवरात्रि होती है। इसदिन भगवान शिवजी की पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है। कहते है मनुष्य चाहे कोई भी व्रत पाजा-पाठ ना भी करें और सिर्फ इन दो शिवरात्रि का व्रत कर विधि-विधान के साथ पूजा- पाठ करें तो वह शिवजी की कृपा से सारे फल की प्राप्ति कर लेता है। चलिए आपकों बताते है कि सावन की शिवरात्रि की क्या महिमा है । और इस दिन कांवड़ का क्या महत्व है।
कहते है कि महादेव जी सभी देवाताओं में सबसे भोले या दयालु होते है। उन्हें मनाने के लिए किसी भी प्रकार की कोई कठिन भक्ति की आवश्वयकता नहीं है। भोलेनाथ सच्ची भक्ति मात्र से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते है। सावन के महीने में कावंड़ यात्रा का विशेष महत्व है। कावंड यात्रा का सीधा सम्बन्ध सावन के महीने से होता है।
हिन्दू धर्म में सावन का महीने का एक विशेष महत्व भी होता है। सावन के महीनें में शिवरात्रि मनाने के कारण के पीछे कई कथाएं प्रचलित है। सबसे ज्यादा प्रचलित और पोराणों की कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव जी पी लिया था। वह विष कोई सामान्य विष नही था बल्कि वह पूरे संसार को अपनी ज़द में लेने वाला विष था इसलिए भोले ही एक ऐसे देव थे जो विषपान कर सकते थे, बावजूद इसके भी शिवजी का पूरा शरीर नकारात्मक ऊर्जा से पीड़ित हो गये थे। साथ ही यह भी कहा जाता है कि त्रेतायुग में रावण जो शिवजी के परम भक्त थे , उन्होंने कांवड़ के द्वारा गंगा के पवित्र जल से शिव जी का जलाभिषेक किया और पूरे सावन के माह शिव भक्ति की, तब भगवान शिव प्रसन्न होकर अपना सबसे बड़ा भक्त रावण को घोषित किया था। और तभी से कावंड़ यात्रा हर साल शुरू हुई।
कावंड़- कांवड़ एक बांस से बना होता है और इस यात्रा में जाने वाले शिव भक्त कावंडिए कहलाते है। कावंड़ यात्रा सावन के पहले दिन से शुरू होकर शिवरात्रि पर खत्म होती है। कावंड़ यात्रा पूरे देश भर में कहीं भी की जा सकती है , लेकिन जहां गंगा बहती हो वहां से पवित्र गंगाजल ले जाकर अपने आस-पास के मन्दिर में स्थित शिवजी का जलाभिषेक चाहिए।
सावन शिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त-
ऐसी मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि के पूजा करना सर्वोत्तम होता है। शिवरात्रि की पूजा का सबसे उत्तम समय मध्य रात्रि माना जाता है। लेकिन सावन की शिवरात्रि में चारों पहर ही पूजा के लिए फलदायी होता है।
Dr. Sandeep Ahuja, an Ayurvedic doctor with 14 years’ experience, blends holistic health, astrology, and Ayurveda, sharing wellness practices that restore mind-body balance and spiritual harmony.